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परमाणु विधेयक: सरकार की विपक्ष से बातचीत की पेशकश

परमाणु दायित्व विधेयक के कारण पूरे विपक्ष के निशाने पर आयी सरकार ने बुधवार को बातचीत की पेशकश करते हुए कहा कि मुआवजा राशि बढ़ाने सहित सभी मुद्दों पर सुगमता के साथ विचार विमर्श किया जा सकता है.

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परमाणु दायित्व विधेयक के कारण पूरे विपक्ष के निशाने पर आयी सरकार ने बुधवार को बातचीत की पेशकश करते हुए कहा कि मुआवजा राशि बढ़ाने सहित सभी मुद्दों पर सुगमता के साथ विचार विमर्श किया जा सकता है.

साथ ही विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने यह भी कहा कि सरकार की परमाणु क्षेत्र को विदेशी निवेश के लिए खोलने की कोई योजना नहीं है. उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि कुछ राजनीतिक दलों विशेषकर हमारे वाम दलों द्वारा काफी भय पैदा किया जा रहा है. विदेशी भागीदारी के मामले में स्पष्ट तौर पर रोक लगी है.’

चव्हाण ने एसोचेम द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में कहा, ‘मुझे लगता है कि मुद्दे पर संसद में या स्थायी समिति में सुगमता के साथ विचार विमर्श किया जा सकता है अथवा हम इस पर निजी बैठकों में भी चर्चा करने को तैयार हैं.’ उन्होंने कहा, ‘बहरहाल, यदि विपक्ष राजनीति चाहता है तो यह अलग बात है.’ साथ ही उन्होंने कहा कि तब हमें इसे आगे ले जाना पड़ेगा.

परिचालक द्वारा दी जाने वाली मुआवजा राशि में वृद्धि की मांग पर चव्हाण ने कहा कि इन सब मुद्दों पर विभिन्न मंचों या निजी बैठकों में चर्चा की जा सकती है. ‘हमें कहीं से तो शुरुआत करनी चाहिए और बाधा पैदा करने वाला नहीं बनना चाहिए.’ उन्होंने कहा कि अमेरिकी कंपिनयों के भारत में परमाणु संयंत्र स्थापित करने का सवाल ही नहीं उठता क्योंकि कानून इसकी इजाजत नहीं देता.

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चव्हाण ने कहा, ‘परमाणु क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंजूरी देने वाली कोई नीति नहीं है.’ उन्होंने कहा कि दायित्व विधेयक पर हो रही बहस में निवेश और खरीद शब्दों का इस्तेमाल गलत तरीके से किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि 1962 का परमाणु उर्जा कानून किसी भी निजी परिचालक को परमाणु उर्जा बनाने की इजाजत नहीं देता तथा सरकार की विदेशी निवेश हासिल करने के लिए कानून में संशोधन करने की फिलहाल कोई मंशा नहीं है.

उन्होंने कहा कि सरकार परमाणु ऊर्जा कानून में संशोधन कर नियामक निकायों को स्वायत्तता देने तथा इसमें कुछ अंतरराष्ट्रीय समझौतों को लागू करने पर विचार कर रही है. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकारी स्वामित्व वाले न्यूक्लीयर कापरेरेशन आफ इंडिया लि. अमेरिका, रूस और फ्रांस के आपूर्तिकर्ताओं से उपकरण खरीद रहा है तथा उनसे निवेश हासिल करने का कोई सवाल ही नहीं उठता.

उन्होंने कहा, ‘यह विशुद्ध क्रेता-आपूर्तिकर्ता संबंध होगा. हम निवेश की तलाश नहीं कर रहे.’ चव्हाण ने कहा कि निजी पक्षों के लिए मुआवजा बढ़ाने जैसे मुद्दों पर तब विचार किया जा सकता है जब सरकार परमाणु क्षेत्र में निजी भागीदारी को मंजूरी देने के बारे में फैसला करती है.

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