जम्मू-कश्मीर में महसूस की गई भूकंप की हलचल अफगानिस्तान में हिंदूकुश की पहाड़ियों में आए एक भूकंप के चलते महसूस की गई. इस भूकंप का केंद्र भारत में नहीं बल्कि अफगानिस्तान में है लेकिन इसकी गहराई 180 किलोमीटर होने की वजह से दूर-दूर तक इसकी धमक महसूस की गई.
हालांकि अफगानिस्तान में आए भूकंप की तीव्रता महज 5.5 थी और इसको खतरनाक भूकंप की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता. लेकिन हिंदुकुश की पहाड़ियों में हो रही हलचल पूरे के पूरे देश में लोगों की धड़कन बढ़ा रही है. क्योंकि भारत का एक बड़ा हिस्सा भूकंप के लिहाज से काफी संवेदनशील है.
उत्तर भारत और पूर्वोत्तर भारत का ज्यादातर हिस्सा भूकंप के मामले में काफी खतरनाक माना जाता है. यहां पर भूकंप आने की वजह हिमालय है. हिमालय में चल रही भूगर्भीय हलचलें भूकंप आने का एक बड़ा कारण हैं. प्लेट टेक्टॉनिक की थ्योरी के मुताबिक हिमालय के क्षेत्र में भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट के बीच टकराव चल रहा है. भारतीय प्लेट यूरेशियन प्लेट के नीचे घुस रही है और इस वजह से इस इलाके में भूकंप आते रहते हैं. हिमालय के ऊंचे-ऊंचे पहाड़ इसी टक्कर का नतीजा है.
भारतीय प्लेट हर साल अमूमन 40 से 50 मिलीमीटर यूरेशियन प्लेट के नीचे घुस जाती है. इस वजह से हिमालय भूकंप के लिहाज से दुनिया भर के सबसे सक्रिय इलाकों में से एक है.
भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट की टक्कर का इलाका सिंधु और ब्रम्हपुत्र नदियों का क्षेत्र है. इन दोनों नदियों के दक्षिण में स्थित हिमालय की ऊंचीं चोटियां हमेशा ही भूकंप से हिलती रही हैं. इस वजह उत्तर भारत में बड़े-बड़े भूकंप आए हैं.
- 1905 में 7.5 की तीव्रता का बड़ा भूकंप कांगड़ा में आया था, इसमें हजारों लोग मारे गए थे और काफी विनाश हुआ था.
- 1934 में बिहार में 8.1 की तीव्रता का विनाशकारी भूकंप आया था. इस भूकंप में भी हजारों लोगों की मौत हुई थी.
- 15 अगस्त 1950 में असम में 8.6 की तीव्रता का भूकंप आया, जिसमें बहुत विनाश हुआ था.
- 2005 में कश्मीर में 7.6 की तीव्रता का बड़ा भूकंप आया जिसमें हजारों लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा था.
ये भूकंप तो मात्र बानगी भर हैं. इस तरह के विनाशकारी भूकंप हिमालय को हिलाते रहे हैं. कहा जा रहा है कि पूरे हिमालय में हलचल बढ़ी हुई है. ऐसे में विनाशकारी भूकंप का खतरे से कोई इंकार नहीं सकता है.
भारत में कोई भी ऐसी जगह नहीं है जो भूकंप के लिहाज से सुरक्षित हो. वैज्ञानिकों ने पूरे देश को भूकंप के लिहाज से चार श्रेणियों में बांट रखा है.
दिल्ली और एनसीआर समेत देश के कई इलाके भूकंप के लिहाज से संवेदनशील इलाकों में आते हैं.
सिस्मिक जोन 5, यानी भूकंप के लिहाज से सबसे खतरनाक इलाका. जोन फाइव का मतलब है यहां आठ की तीव्रता से ज्यादा का भूकंप आ सकता है. इस जोन में देश का पूरा नॉर्थ ईस्ट इलाका, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तरांचल के इलाके, गुजरात का कच्छ, उत्तर बिहार और अंडमान निकोबार द्वीप आता है.
सिस्मिक जोन 4 भूकंप के लिहाज से ये भी काफी खतरनाक माना जाता है. यहां 7 से 7.9 तीव्रता तक भूकंप आ सकते हैं. इस जोन में राजधानी दिल्ली, एनसीआर के इलाके, जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के इलाके, सिक्किम, यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल का उत्तरी इलाका, गुजरात का कुछ हिस्सा और पश्चिम तट से सटा महाराष्ट्र और राजस्थान का इलाका आता है.
जोन 3 को भूकंप के लिहाज से मध्यम खतरे वाला माना जाता है. इस जोन में केरल, गोवा, लक्षदीप, यूपी, गुजरात और पश्चिम बंगाल के बचे हुए इलाके, पंजाब, रास्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओड़िसा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक के इलाके आते हैं.
देश की बाकी जगहें सिस्मिक जोन 2 में आते हैं. ये भूकंप के लिहाज से कम खतरनाक है. यहां 4.9 तीव्रता से ज्यादा का भूकंप आने का खतरा नहीं.
यानी भूकंप के लिहाज से देश का कोई हिस्सा सुरक्षित नहीं है. लिहाजा भूकंप के खतरे को हल्के में लेना बुद्धिमानी नहीं होगी.