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बार बार कांप रहा है हिमालय, ये महाभूकंप की आहट तो नहीं?

कांगड़ा में चार दिनों के भीतर दो बार भूकंप आ चुका है. जब वैज्ञानिकों ने भूकंप का केंद्र देखा तो उनकी रूह कांप उठी. क्योंकि भूकंप का केंद्र बिल्कुल उसी जगह के आसपास था, जहां अप्रैल 1905 में भयानक जलजला आया था. वैज्ञानिकों ने आशंका व्यक्त की है कि एक बार फिर बिल्कुल वैसा ही भूकंप आ सकता है.

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महाभूकंप का खतरा
महाभूकंप का खतरा

कांगड़ा में चार दिनों के भीतर दो बार भूकंप आ चुका है. जब वैज्ञानिकों ने भूकंप का केंद्र देखा तो उनकी रूह कांप उठी. क्योंकि भूकंप का केंद्र बिल्कुल उसी जगह के आसपास था, जहां अप्रैल 1905 में भयानक जलजला आया था. वैज्ञानिकों ने आशंका व्यक्त की है कि एक बार फिर बिल्कुल वैसा ही भूकंप आ सकता है.  

13 जुलाई की आधी रात 11 बजकर बीस मिनट पर कांगड़ा में अचानक धरती कांप उठी. लोग घरों से बाहर आ गए. सभी के एक चेहरे पर अनजाना डर ता और चारों तरफ अफरा तफरी मची थी. कांगड़ा में आए इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.5 मापी गई.

ये कोई बड़ा भूकंप नहीं था, इससे कोई नुकसान भी नहीं हुआ, इस खबर से तो आप राहत की सांस ले सकते हैं, लेकिन ये भूकंप महज एक संदेश था. जितने बड़े खतरे का ये अलार्म बजा गया है, उसे जानकर आप हिल जाएंगे. जिस इलाके में ये भूकंप आया है, और जहां इसका केंद्र है, उसने वैज्ञानिकों की नींद उड़ा दी है. आज से 108 साल पहले 1905 में यहां एक विनाशकारी भूकंप आया था. जिसमें 20 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे और पूरा हिमाचल तबाह हो गया था.

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यानी 13 जुलाई को 4.5 की तीव्रता का भूकंप 1905 के महाविनाशकारी भूंकप के केंद्र के पास ही आया है. यही सबसे बड़ी चिंता की बात है. हिमालय में हलचल बढ़ चुकी है. पिछले दस दिनों के भीतर जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड के कई इलाकों में पांच हल्के भूकंप दर्ज किए जा चुके हैं. भूवैज्ञानिकों के मुताबिक कांगड़ा हिमालय का वो इलाका है जहां पर 8 या इससे ज्यादा की तीव्रता का भूकंप आने की आशंका लगातार बनी हुई है.

दरअसल हिमालय का निर्माण ही धरती की दो बड़ी टेक्टॉनिक प्लेटों के बीच हुई टक्कर से हुआ है. तकरीबन पांच करोड़ साल पहले टेक्टॉनिक प्लेटों के बीच शुरू हुई टक्कर आज भी जारी है. यही वजह है कि हिमालय के क्षेत्र में बड़े भूकंपों का आना कोई नई बात नहीं है. पिछले सालों में आए बड़े भूकंपों का अध्ययन करने के बाद भूवैज्ञानिक इस नतीजे पर सहमत हैं कि हिमालय में एक बड़ा भूकंप कभी भी आ सकता है.

हाल ही में अमेरिका की स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने भारतीय संस्थान एनजीआरआई के साथ एक अध्ययन में ये पाया है कि हिमालय में मेन हिमालयन थ्रस्ट यानी एमएचटी काफी सक्रिय है. यहां पर ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि रिक्टर स्केल पर 8 या इससे ज्यादा की तीव्रता का भूकंप कभी भी तबाही मचा सकता है.

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जानकारों की माने तो बड़े भूकंप यानी 8 या इससे ज्यादा की तीव्रता का भूकंप जिन इलाकों में आने की आशंका है वो इलाके हैं कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, नेपाल, बिहार का तराई वाला इलाका और असम. वैज्ञानिकों कहना है कि जिस भूकंप की आशंका जताई जा रही है, अगर वो आया तो हिमालय से सटे तमाम इलाकों में महाविनाश की स्थिति बन सकती है.

महाभूकंप का खतरा देखते हुए नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट टीम ने हिमाचल प्रदेश सरकार को चेतावनी दे दी है. वैज्ञानिकों का कहना है कि पहाड़ी इलाकों में बनी इमारतें भूकंप के झटके झेल नहीं सकतीं. अगर शिमला की बात करें तो यहां तीन लाख की आबादी है. ऐसे में अगर महाभूकंप आया तो महाविनाश को रोकना असंभव होगा.

वैज्ञानिकों को मानें तो जहां विनाशकारी भूकंप एक बार आता है, सौ साल बाद वैसा ही भूकंप आने का खतरा बना रहता है. 1905 में हिमाचल में आए भूकंप को 103 साल हो भी गए हैं. 103 साल पहले हिमाचल में भूकंप के झटकों ने जमकर तबाही मचाई थी.

4 अप्रैल, 1905 को कांगड़ा वैली में आए भूकंप का माप रिक्टर स्केल पर 7.8 आंकी गई थी. भूवैज्ञानिकों के मुताबिक कांगड़ा घाटी के भूकंप के दो केंद्र थे. एक केंद्र कांगड़ा कुल्लू और दूसरा मसूरी-देहरादून इलाके में था.

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इस भूकंप से कई जगह भूस्खलन हुए, चट्टानें गिर गईं. धर्मशाला कस्बे की सारी की सारी इमारतें जमींदोज हो गई थीं. मैक्लोडगंज और कांगड़ा में ज्यादातर इमारतें ध्वस्त गईं थीं. ब्रिटिश गजेटियर के मुताबिक कुल्लू-मनाली, शिमला, सिरमौर और देहरादून तक इस भूकंप ने अपनी विनाशलीला दिखाई थी.

अगर इस तरह का विनाशकारी भूकंप आया, जिसकी वैज्ञानिक आशंका जता रहे हैं तो वे इलाके तहस नहस हो जाएंगे, जो हिमालय से करीब हैं. लेकिन एक बड़ा सच ये भी है कि भारत का कोई हिस्सा ऐसा नहीं है, जो भूकंप के लिहाज से बिल्कुल सुरक्षित हो. यहां तक कि दिल्ली में भी आ सकता है 7.9 तीव्रता का भूकंप.

भूकंप के मद्देनज़र हिंदुस्तान को चार हिस्सों में बांटा गया है. सिस्मिक ज़ोन 5 यानी भूकंप के लिहाज़ से सबसे ज़्यादा खतरनाक क्षेत्र है. इस क्षेत्र में 8 से ज़्यादा तीव्रता का भूकंप आ सकता है. जिसके बाद तबाही की सबसे खौफनाक तस्वीर सामने आ सकती है.इस जोन में देश का पूरा नॉर्थ ईस्ट इलाका, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तरांचल के इलाके, गुजरात का कच्छ, उत्तर बिहार और अंडमान निकोबार द्वीप आता है.

दूसरे नंबर पर उन इलाकों को रखा गया है जहां 7.9 की तीव्रता का भूकंप आ सकता हैष इन इलाकों को सिस्मिक ज़ोन 4 में रखा गया है. इसमेंराजधानी दिल्ली, एनसीआर के इलाके, जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के इलाके, सिक्कम, यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल का उत्तरी इलाका, गुजरात का कुछ हिस्सा और पश्चिम तट से सटा महाराष्ट्र और राजस्थान का इलाका आता है.

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सिस्मिक ज़ोन 3 में उन इलाकों को रखा गया है जो भूकंप के लिहाज़ से कुछ कम ख़तरे वाले क्षेत्र हैं. इसमें केरल, गोवा, लक्षदीप, यूपी, गुजरात और पश्चिम बंगाल के बचे हुए इलाके, पंजाब, रास्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओड़िसा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक के इलाके आते हैं.

देश के बाकी इलाकों को सिस्मिक ज़ोन 2 रखा गया है जहां 4.9 से ज़्यादा का भूकंप आने की आशंका नहीं है.

लिहाजा भूकंप के खतरे को हल्के में लेना बुद्धिमानी नहीं होगी. हाल ही में हिमालय में बढ़ी हलचल हमको अलर्ट कर रही है. जरूरत इस बात की है कि बड़े भूकंप को लेकर अपनी तैयारियां तेज कर दें.

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