केन्द्रीय विधि मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने महिला आरक्षण विधेयक में अन्य पिछड़ा वर्ग की महिलाओं को आरक्षण उपलब्ध कराए जाने से पूरी तरह इनकार करते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर ओबीसी के आंकड़ें उपलब्ध नहीं हैं.
मोइली ने कहा कि राज्यसभा में पारित किए गए विधेयक में किसी प्रकार का बदलाव नहीं होगा. उन्होंने साथ ही विश्वास जताया कि यह अप्रैल में लोकसभा में भी पारित हो जाएगा. उन्होंने संवाददाताओं से कहा ‘संविधान में ओबीसी को आरक्षण, खासतौर से राजनीतिक आरक्षण उपलब्ध कराने का कोई प्रावधान नहीं है, भले ही रोजगार और शिक्षा के क्षेत्र में आरक्षण मुहैया कराया जाता हो.’
मोइली ने कहा कि ओबीसी की 1931 के बाद से कोई जनगणना नहीं हुई है. उन्होंने कहा ‘इसलिए जब तक ये आंकड़ें उपलब्ध नहीं हो जाते, तब तक यह फैसला करना संभव नहीं है कि कौन ओबीसी है और कौन ओबीसी नहीं है.’ उन्होंने कहा कि यदि संसद महिला आरक्षण विधेयक में ओबीसी कोटे की व्यवस्था करते हुए संशोधन के साथ विधेयक को पारित कर देती है तो अदालत उसे ‘पहले दिन से ही’ खारिज कर देगी.
समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव की इस टिप्पणी पर कि विधेयक से केवल धनी मानी तबके की महिलाओं को ही फायदा होगा, मोइली ने कहा ‘पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं को आरक्षण उपलब्ध कराने के लिए किए गए 73वें और 74वें संशोधन के समय भी ‘यही तर्क’ दिया गया था.