सरकार ने बुधवार को महिला आरक्षण विधेयक में अन्य पिछड़ा वर्ग और मुस्लिमों के लिए ‘कोटा के अंदर कोटा’ देने से इनकार करते हुए कहा कि विधेयक को लोकसभा में पेश किये जाने को लेकर कोई देरी नहीं की जाएगी.
सपा और राजद जैसे सहयोगी दलों द्वारा समर्थन वापसी की धमकी से अप्रभावित सरकार पूरी तरह विश्वस्त दिखाई देती है और लोकसभा में इसके पारित होने को लेकर कोई चिंता नहीं है. कानून मंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने कहा, ‘संविधान में वर्तमान व्यवस्था के तहत अन्य पिछड़ा वर्ग या अल्पसंख्यकों के लिए कोटा में कोटा का कोई प्रावधान नहीं है और इसका एक कारण यह भी है कि जनगणना में समुदायों और जातियों पर आज भी कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है.’
उन्होंने कहा, ‘यदि हम समुदायों और जातियों पर एक राष्ट्रीय जनगणना करना भी चाहें और मुलायम सिंह यादव तथा लालू प्रसाद सरीखे नेताओं की मांगों को मानना चाहें, तब भी हमें 2021 की जनगणना का इंतजार करना होगा. हम इस विधेयक को लाने के लिए इतना लंबा इंतजार नहीं कर सकते.’
मोइली ने कहा कि इसके लिए जनगणना प्रक्रिया बदलने के लिहाज से 1931 से अपनायी जा रही राष्ट्रीय नीति को बदलना होगा. उन्होंने कहा, ‘ऐसा कोई भी विधेयक, जिसमें कोटा के अंदर कोटा हो, वह अंसवैधानिक होने के चलते अदालतों द्वारा शुरू में ही रद्द कर दिया जाएगा.’ {mospagebreak}
जब मोइली से पूछा गया कि क्या सरकार महिला विधेयक को लोकसभा में लाने के लिए इसलिए जल्दी नहीं कर रही क्योंकि वह वित्तीय विधेयकों को बिना अवरोध के पारित कराना चाहती है, इस पर उन्होंने कहा, ‘हमारी विलंब करने की ऐसी कोई नीति नहीं है.’
मोइली ने कहा, ‘वास्तव में हम इसे जल्दी से जल्दी पारित कराने के लिए उत्सुक हैं और यह हमारी प्रतिबद्धता है. यह कार्य मंत्रणा समिति पर निर्भर करता है, जो इसके लिए समय तय करती है.’ उन्होंने कहा, ‘सभी चीजों से परे विधेयक पारित होगा. हम धमकियों के अभ्यस्त हैं. अनेक बार बाधाएं पार कर ली गयी हैं.’ इसके लिए उन्होंने परमाणु करार का जिक्र किया.
विधेयक पर राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के कड़े विरोध का जिक्र करते हुए मोइली ने कहा कि लालू उसी संप्रग का हिस्सा रहे, जिसमें न्यूनतम साझा कार्यक्रम में इस विधेयक की बात कही गयी है. उन्होंने कहा कि सरकार लोकसभा में 16 मार्च से पहले विधेयक को रखने पर फैसला करेगी. मोइली ने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर किसी डर के साथ आगे नहीं बढ़ रही क्योंकि कांग्रेस पार्टी ने हमेशा साहसिक फैसले किये हैं.
उन्होंने कहा कि संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण सरकार द्वारा समावेशी राजनीति के एजेंडे के तहत किये गये फैसलों में ‘महानतम लैंगिक न्याय’ होगा. क्या सरकार विधेयक पर भाजपा और वाम दलों से साझा किये बिना पूरा श्रेय खुद ले रही है, इस सवाल पर कानून मंत्री का कहना था कि यह संसदीय लोकतंत्र का सम्मान है.