अफगानिस्तान में वरिष्ठ तालिबान तत्वों से राजनैतिक बातचीत की वकालत करते हुए पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने कहा कि सैन्य शक्ति की बजाय बातचीत युद्धग्रस्त देश में संघर्ष का समाधान करने की दृष्टि से अहम है. वहां साल 2001 से अमेरिका नीत बल आतंकवादियों से लड़ रहे हैं.
मुशर्रफ ने कहा कि सैन्य ताकत की बजाय राजनैतिक प्रगति अफगानिस्तान की समस्या का समाधान दिलाएगी. उन्होंने दावा किया कि सेना कभी भी अंतिम समाधान नहीं है. मुशर्रफ ने कहा, ‘‘हम सिर्फ अल्पावधि की सैन्य रणनीति का अनुकरण कर रहे हैं. तालिबान ने अनैतिक कार्य किए हैं. लेकिन हमें समाधान पर पहुंचना है.’’ उन्होंने कहा कि जहां सैन्य अभियान से समय हासिल किया जा सकता है लेकिन ‘राजनैतिक उपकरण’ का इस्तेमाल अंतत: किया जाना है.
मुशर्रफ ने कहा, ‘‘व्यक्तिगत तौर पर मैं सोचता हूं कि आपको तालिबान के वरिष्ठ तत्वों से राजनैतिक बातचीत स्थापित करने की आवश्यकता है.’’ मुशर्रफ का यह बयान अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई की उस अपील के बाद आया है जिसमें उन्होंने पाश्चात्य देशों से तालिबान के शीर्ष नेता मुल्ला उमर से बातचीत समेत देश के लिए नयी रणनीति विकसित करने को कहा था. करजई ने कहा था, ‘‘सैन्य अभियान पर्याप्त नहीं हैं.’’ मुशर्रफ ने यह भी दावा किया कि तालिबान का प्रभाव पिछले साल उनके इस्तीफा देने के बाद से पाकिस्तान अफगानिस्तान सीमा पर बढ़ा है.