राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर को-ऑपरेटिव बैंकों को बचाने की गुहार लगाई है. पवार ने कहा है कि प्रधानमंत्री भी इससे सहमत होंगे कि को-ऑपरेटिव बैंक ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी रहे हैं. उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि को-ऑपरेटिव बैंक देश में बैकिंग साक्षरता बढ़ाने में अहम रोल निभाते आए हैं.
को-ऑपरेटिव बैंक का सहकारी चरित्र कायम रहे
शरद पवार ने अपने पत्र में को-ऑपरेटिव बैंकों पर सरकार की बढ़ती दखंलदाजी पर चिंता जताई है. पवार ने कहा है कि सहकारी बैंकों का सहकारी चरित्र कायम रखा जाना चाहिए, तभी ये बैंक किसानों और ग्रामीण मजदूरों, खेतिहरों की मदद करने के अपने मकसद में कामयाब हो पाएंगे.
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प्राइवेट बैंक में बदलना समस्या का हल नहीं
शरद पवार ने कहा कि सहकारी को प्राइवेट बैंकों में बदलने की सरकार की कोशिश सही नहीं है. बता दें कि 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से अपने संबधोन में कहा था कि मध्य वर्ग के हितों की रक्षा के लिए सहकारी बैंकों को रिजर्व बैंक की निगरानी में लाया गया है. शरद पवार ने सरकार के इस कदम की तारीफ की है, और कहा है कि सहकारी बैंकों में भी वित्तीय अनुशासन होना चाहिए, लेकिन साथ ही साथ शरद पवार ने सहकारी बैंकों पर रिजर्व बैंक की बढ़ती पकड़ का विरोध किया है.
I have written a letter to Hon. @PMOIndia Shri @narendramodi to express my deep concern about the preservation of the ‘Co-operative’ character of Co-operative banks having legacy of more than 100 years. pic.twitter.com/CZ6IBu4kZ1
— Sharad Pawar (@PawarSpeaks) August 18, 2020
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वित्तीय अनुशासन का पक्षधर हूं
पवार ने कहा कि वे सहकारी बैंकों में वित्तीय अनुशासन के पक्षधर हैं लेकिन ऐसा कहना गलत होगा कि सहकारी बैंकों को निजी बैंकों में बदल देने से फंड की हेराफेरी एक दम से रुक ही जाएगी. शरद पवार से रिजर्व बैंक के आंकड़ों के आधार पर दावा किया है कि वित्तीय वर्ष 2019-20 में सहकारी बैंकों में सबसे कम धोखेबाजी दर्ज की गई है.
एनसीपी अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा है कि 100 साल पुराने और देश की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान देने वाले सहकारी बैंकों पर बेवजह की पाबंदियां न लगाई जाए.