scorecardresearch
 

साबूदाने और गुलाब जल से बम बना रहे हैं नक्सली, केमिकल इंजीनियर कर रहा है मदद

आपने साबूदाना और गुलाब जल जैसी चीजों से बम बनाने के बारे में सुना है? पर यह करिश्मा आजकल माओवादी कर रहे हैं. वे साबूदाना, गुलाब जल, सोडा और मलहम जैसी चीजों से बम बना रहे हैं.

Advertisement
X
देसी रसायनों से बना रहे हैं बम
देसी रसायनों से बना रहे हैं बम

आपने साबूदाना और गुलाब जल जैसी चीजों से बम बनाने के बारे में सुना है? पर यह करिश्मा आजकल माओवादी कर रहे हैं. वे साबूदाना, गुलाब जल, सोडा और मलहम जैसी चीजों से बम बना रहे हैं.

दरअसल ये उन देसी केमिकल्स के कोड वर्ड हैं, जिन्हें आजकल नक्सली बम बनाने में इस्तेमाल कर रहे हैं. केंद्र सरकार ने नक्सल प्रभावित राज्यों को यह जानकारी दी है. केंद्र ने बताया है कि माओवादी अब आसानी से उपलब्ध देसी रसायनों के इस्तेमाल से बम बना रहे हैं.

केमिकल इंजीनियर कर रहा है मदद
इस काम में विदेश में बैठा एक केमिकल इंजीनियर उनकी मदद कर रहा है. बताया जा रहा है कि इस इंजीनियर ने हाल ही में भारत के नक्सल प्रभावित इलाकों का दौरा किया था.

अंग्रेजी अखबार 'इंडियन एक्सप्रेस' ने शीर्ष सीआरपीएफ अधिकारियों के हवाले से लिखा है कि नक्सलियों ने 20 अलग विस्फोटक पदार्थों को टेस्ट किया, जिनमें से चार या पांच को बारूदी सुरंद और बम बनाने के लिए चुना गया.

पेट्रोलियम जेली यानी 'मलहम'
इनमें उर्वरक, पोटेशियम डाइक्रोमेट, नेफ्थलीन की गेंद और पेट्रोलियम जेली जैसे पदार्थ शामिल हैं.  नक्सली सबसे ज्यादा पोटेशियम क्लोरेट, आइसिंग शुगर और वैक्स के मिश्रण का इस्तेमाल करते हैं.

Advertisement

उनकी भाषा में पोटेशियम क्लोरेट को 'सोडा', अमोनियम नाइट्रेट को 'साबूदाना', सल्फ्यूरिक एसिड को 'गुलाब जल' कहा जाता है. वे एथाइल अल्कोहल को 'कीटनाशक दवा' और पेट्रोलियम जेली को 'मलहम' कहते हैं.

विस्फोटक मिश्रण बनाना है अपराध
गृह मंत्रालय के निर्देश पर किए गए विश्लेषण में ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट  (बीपीआर एंड डी) ने यह जानकारी जुटाई है. एक अधिकारी ने बताया कि आसानी से मिलने वाले बहुत सारे पदार्थ 'एक्सप्लोजिव एक्ट' के अंतर्गत नहीं आते. लेकिन जब उनका मिश्रण एक्ट के अंतर्गत आता है. अगर ऐसा मिश्रण कोई बना रहा है तो इसकी जांच होनी चाहिए.

Advertisement
Advertisement