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दो दिन के बंद में नक्सलियों ने की 13 की हत्या

भाकपा-माओवादी के उग्रवादियों ने 13 सितंबर से शुरू हुए दो दिवसीय बंद के दौरान 11 आम लोगों और दो सुरक्षाकर्मियों की हत्या कर दी.

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भाकपा-माओवादी के उग्रवादियों ने 13 सितंबर से शुरू हुए दो दिवसीय बंद के दौरान 11 आम लोगों और दो सुरक्षाकर्मियों की हत्या कर दी.

गृह मंत्रालय के मुताबिक माओवादियों ने 13 और 14 सितंबर को बंद का आहवान किया था और इस दौरान हिंसा की कुल 14 घटनाओं में दो सुरक्षाकर्मियों सहित 13 लोगों को मौत के घाट उतार दिया.

मंत्रालय ने कहा कि मारे गये 11 आम लोगों में से तीन को माओवादियों ने पुलिस का मुखबिर बताकर मार दिया.

केन्द्र सरकार ने इन घटनाओं की कडी निन्दा करते हुए कहा कि वह नक्सलियों के खतरे को जड से समाप्त करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.

मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि माओवादियों ने राजनंदगांव में एक डाक्टर की भी हत्या की. इससे असुरक्षा का माहौल पैदा हुआ है और सुदूरवर्ती इलाकों में डाक्टरों की कमी की समस्या और गंभीर होगी जबकि ऐसे इलाकों में कुशल डाक्टरों की सख्त आवश्यकता है.

अधिकारी ने कहा कि 13 सितंबर को पश्चिम बंगाल में नक्सलियों ने माकपा के पांच समर्थकों की पश्चिम मिदनापुर जिले में हत्या कर दी. छत्तीसगढ के दंतेवाडा जिले में माओवादियों ने दो पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतार दिया.

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उन्होंने कहा कि एक ओर तो माओवादी सुदूरवर्ती इलाकों में विकास की कमी का तर्क देते हैं, दूसरी ओर वे इन जगहों पर बुनियादी ढांचे को ध्वस्त करने में लगे हुए हैं.

दो दिवसीय बंद के दौरान उन्होंने उडीसा, बिहार, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ में न सिर्फ निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतारा बल्कि रेलवे पटरियां क्षतिग्रस्त कीं, बस को आग लगायी, संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया.

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