गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में लगी आग और उसके बाद हुए दंगों की जांच कर रहे नानावती आयोग ने आज अपनी पहली रिपोर्ट विधानसभा में पेश की. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि गोधरा दंगे में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कोई सबूत नहीं पाया गया है. हालांकि रिपोर्ट में यह जरूर कहा गया है कि साबरमती एक्सप्रेस में लगी आग एक दुर्घटना नहीं बल्कि सुनियोजित षडयंत्र है. आयोग की रिपोर्ट में दंगे के दौरान किसी राजनीतिज्ञ या पुलिस अधिकारी की संलिप्तता से भी इनकार किया गया है.
इस रिपोर्ट के अनुसार 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस के कोच संख्या छह को जलाने में 140 लीटर पेट्रोल का इस्तेमाल किया गया था. गुजरात विधानसभा में रिपोर्ट पेश होने के बाद कांग्रेस ने सदन का बहिष्कार कर दिया.
इस मामले की रेलवे की ओर से जांच कर चुके न्यायाधीश यू सी बनर्जी ने कहा कि मैंने भी अपनी जांच के दौरान यही पाया कि यह एक दुर्घटनामात्र है ना कि पूर्व नियोजित षडयंत्र. दुर्भाग्य से उस दिन 250 यात्री उस घटना में बच नहीं पाए. भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने रिपोर्ट पर खुशी जताते हुए कहा कि आखिर सच सामने आ ही गया. कई ने इस रिपोर्ट को अपने हिसाब से मोड़ते हुए इसे षडयंत्र बताने की कोशिश की.
कांग्रेस ने इस रिपोर्ट को विश्वसनीय मानने से इनकार कर दिया है. पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि नानावती आयोग से हमें यही उम्मीद थी कि वह मोदी को क्लीन चिट दे देगा. समाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ने कहा कि आनेवाले चुनाव को देखते हुए यह रिपोर्ट भाजपा के लिए लाया गया है. इस रिपोर्ट की पूरी कॉपी सार्वजनिक की जानी चाहिए.
अवकाश प्राप्त न्यायाधीशों- जी टी नानावती और न्यायाधीश अक्षय मेहता ने गुजरात सरकार को गोधरा आयोग की पहले हिस्से की रिपोर्ट पिछले सप्ताह सौंप दी थी. इस आयोग का गठन 2002 में हुआ था, जिसने छह साल बीत जाने के बाद अपनी पहली रिपोर्ट सौंपी है. दिसंबर तक दूसरी रिपोर्ट सौंपे जाने की संभावना है.
एक गैर सरकारी संगठन ने रिपोर्ट को चुनौती देते हुए गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया.