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मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की धमकी, यूनिफॉर्म सिविल कोड नहीं करेंगे बर्दाश्त

उत्तर प्रदेश चुनाव के पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने की बीजेपी की तैयारी पर मुस्लिम समाज में तीखी प्रतिक्रिया हुई है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस प्रस्ताव को पूरी तरह नकार दिया है और आरोप लगाया है किस सिर्फ वोटों की राजनीति गरमाने के लिए बीजेपी यह मुद्दा उछाल रही है.

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उत्तर प्रदेश चुनाव के पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने की बीजेपी की तैयारी पर मुस्लिम समाज में तीखी प्रतिक्रिया हुई है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस प्रस्ताव को पूरी तरह नकार दिया है और आरोप लगाया है किस सिर्फ वोटों की राजनीति गरमाने के लिए बीजेपी यह मुद्दा उछाल रही है.

यूनिफॉर्म सिविल कोड के खिलाफ आवाज
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष कल्बे सादिक ने 'आज तक' से खास बातचीत में कहा कि देश के मुसलमान शरीयत कानून में कोई दखल बर्दाश्त नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि सिर्फ मुस्लिम ही नहीं देश के दूसरे अल्पसंख्यक समुदाय भी इसका विरोध करेंगे क्योंकि ये धार्मिक रीति रिवाज में दखल देने वाली बात होगी.

बीजेपी पर हमला
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के एक और सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने सरकार को चेतावनी दी कि अगर बीजेपी सरकार ऐसा कोई कदम उठाती है तो मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड चुप नहीं बैठेगा. उन्होंने कहा कि मामला सिर्फ मुसलमानों का नहीं है देश में कश्मीर से लेकर मिजोरम तक अलग-अलग लोगों के लिए अलग अलग कानून खुद देश की संसद ने बनाए हैं.

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तलाक को लेकर मुस्लिम धर्मगुरुओं में मतभेद
लेकिन तीन तलाक के संवेदनशील मुद्दे पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के भीतर ही तीखे मतभेद हैं. भारत में शिया मुसलमानों के सबसे बड़े धार्मिक गुरु और पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष कल्बे सादिक तीन तलाक के सख्त खिलाफ हैं. उनका कहना है कि इससे महिलाओं के खिलाफ भेदभाव होता है और इस प्रथा को खत्म होना चाहिए. शिया मुसलमानों में वैसे भी तीन तलाक की प्रथा नहीं है. लेकिन ज्यादातर सुन्नी धर्मगुरु तमाम आलोचना के बावजूद तीन तलाक के पक्ष में दलील देते हैं. मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा कि इसे खत्म नहीं किया जा सकता लेकिन इसके बेजा इस्तेमाल पर रोक लगनी चाहिए.

मुस्लिम धर्मगुरुओं ने वक्त को लेकर उठाए सवाल
वैसे उत्तर प्रदेश में ज्यादातर मुस्लिम धर्मगुरुओं को यही लगता है कि ना तो बीजेपी सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड लाएगी और ना ही तीन तलाक को खत्म करने के लिए जोर लगाएगी. उनका मानना है कि सिर्फ उत्तर प्रदेश में वोटों का ध्रुवीकरण कराकर हिंदुओं का वोट बटोरने के लिए बीजेपी इन मुद्दों को चर्चा में लाना चाहती है. ठीक वैसे ही जैसे पिछली बार उत्तर प्रदेश चुनाव के समय यूपीए की सरकार ने मुसलमानों को आरक्षण देने का आश्वासन देकर वोट बटोरने की कोशिश की थी. लेकिन बाद में हुआ कुछ नहीं.

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