scorecardresearch
 

दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला, 'कदाचार के आधार पर पेंशन नहीं काट सकती सरकार'

दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों के हित में एक अहम फैसला करते हुए कहा कि किसी सरकारी कर्मचारी के तब तक पेंशन सबंधी लाभ नहीं रोके जा सकते, जब तक उसका कोई गंभीर कसूर न हो. सिर्फ दुर्व्यवहार के आधार पर आप पेंशन नहीं काट सकते.

Advertisement
X
Symbolic Image
Symbolic Image

दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों के हित में एक अहम फैसला करते हुए कहा कि किसी सरकारी कर्मचारी के तब तक पेंशन सबंधी लाभ नहीं रोके जा सकते, जब तक उसका कोई गंभीर कसूर न हो. सिर्फ दुर्व्यवहार के आधार पर आप पेंशन नहीं काट सकते. EPFO पेंशन की उम्र सीमा अब 60 साल हुई

न्यायाधीश प्रदीप नंद्राजोग और प्रतिभा रानी की पीठ ने कहा, 'किसी सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी के लिए यह कहना काफी है कि उसकी पेंशन काट लेने के आदेश दिए जा सकते हैं, अगर वह किसी ऐसे कदाचार में दोषी पाया जाता है, जो गंभीर है. अगर कदाचार ज्यादा गंभीर नहीं है, तो संबंधित अधिकारियों के पास महज दुर्व्यवहार के आधार पर पेंशन काटने के आदेश देने का अधिकार नहीं है. पीठ ने अब सेवानिवृत्त हो चुके सीआरपीएफ कमांडेंट एन भारद्वाज की याचिका का निपटारा करते हुए उनकी पेंशन काटने और उन्हें मिले बहादुरी मेडल को वापस लिए जाने संबंधी कार्रवाई के आदेशों को रद्द कर दिया.

सरकारी गाड़ी का किया था इस्तेमाल
भारद्वाज के खिलाफ ये आदेश इसलिए जारी किए गए थे क्योंकि छुट्टी पर रहते हुए उन्होंने सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल किया था. उनके खिलाफ जारी इन आदेशों को निरस्त करते हुए अदालत ने पाया कि उनका कदाचार ज्यादा गंभीर नहीं था. न्यायाधीशों ने कहा कि छह महीने तक याचिकाकर्ता की पेंशन में पांच फीसदी की कटौती के जुर्माने को दरकिनार किया जाता है और याचिकाकर्ता को दिए गए बहादुरी मेडल को वापस लेने की कार्रवाई को भी रोका जाता है.

Advertisement

22 साल पुराना मामला
भारद्वाज ने 1993 में चंडीगढ़ से अमृतसर स्थित सीआरपीएफ के 14 बटालियन बेस पर लौटने के दौरान अपनी सरकारी कार और एक अन्य गाड़ी का इस्तेमाल करने पर लगाए गए आरोपों और जुर्माने को चुनौती दी थी. उनके इस काम को एक गंभीर कदाचार माना गया था. आचार नियमों के प्रावधानों के तहत कैजुअल लीव पर चल रहे अधिकारी सरकारी वाहनों के इस्तेमाल नहीं कर सकते.

-इनपुट भाषा

Advertisement
Advertisement