पटना सीरियल ब्लास्ट के संदिग्ध महरे आलम के पिता ने धमाकेदार खुलासा किया है. उन्होंने माना है कि महरे आलम आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी तहसीन अख्तर को जानता था, पर वह पटना या बोधगया ब्लास्ट में शामिल नहीं है. उन्होंने कहा कि उनके बेटे को फंसाया जा रहा है.
आपको बता दें कि शुरुआती जांच के मुताबिक संदिग्ध आतंकी तहसीन अख्तर नरेंद्र मोदी की हुंकार रैली के दौरान हुए सिलसिलेवार बम धमाकों का मास्टरमाइंड है.
जानिए महरे आलम के पिता की जुबानी सच्चाई
पहले 23 अक्टूबर और बाद में 29 अक्टूबर को एनआईए ने मेरे बेटे को बुलाया
'23 अक्टूबर को एनआईए ने बिना किसी नोटिस के मेरे बेटे महरे आलम व उसके एक साथी को दरभंगा से उठा लिया. मुझे शाम तक पता नहीं था कि मेरे बेटे कहां है. शाम को मुझे फोन आया कि आपके बेटे को छोड़ दिया गया है, आप उसे ले जाइए. छूटने के बाद महरे आलम ने मुझे बताया कि पुलिस वालों ने उसके साथ बदतमीजी की और प्रताड़ित किया. यहां तक कि उसकी दाढ़ी को भी खींचा. मेरे बेटे ने मुझे बताया कि एनआईए वाले जानना चाहते थे कि उसका तहसीन अख्तर से क्या रिश्ता है. उन्होंने मेरे बेटे को बंदूक की नोक पर तहसीन अख्तर के साथ रिश्ता होने की बात कबूलने को कहा. एनआईए वाले कह रहे थे कि मेरे बेटे का रिश्ता इंडियन मुजाहिदीन के साथ है. इसके बाद महरे आलम को पुलिस ने 29 अक्टूबर को बोधगया आने को कहा. जब हम बोधगया के लिए जा रहे थे तो इस दौरान फिर से एनआईए की टीम का फोन आया. उन्होंने अब हमें पटना आने को कहा.'
तहसीन अख्तर से मिला था महरे आलम
'चार साल पहले दरभंगा की एक लाइब्रेरी में महरे आलम की मुलाकात तहसीन अख्तर से हुई थी. उस वक्त मेरा बेटा शलफिया मदरसा में पढ़ता था. लाइब्रेरी में कई लोग आते थे. इस दौरान मेरे बेटे की बातचीत तहसीन अख्तर से होती थी. एक दिन तहसीन अख्तर मेरे घर पर आया और मेरे बेटे से उसका सर्टिफिकेट मांगने लगा, जिसपर मेरे बेटे ने इसका कारण पूछा. तब तहसीन ने बताया कि उसे किसी और शख्स को नौकरी दिलाने के लिए सर्टिफिकेट चाहिए. मेरे लड़के ऐसा करने से मना कर दिया. उसने तहसीन अख्तर को घर से जाने को कह दिया. इसके बाद महरे आलम और तहसीन अख्तर के बीच कोई संपर्क नहीं है. यह चार साल पुरानी बात है. मेरे बेटे को पहले पता नहीं था कि तहसीन गलत कामों में शामिल है. तहसीन मेरे घर पर सिर्फ एक बार आया था. मेरे बेटे का बोधगया ब्लास्ट से कोई संबंध नहीं है. मेरा बेटा पिछले कुछ सालों में विदेश में नौकरी पाने के चक्कर में दिल्ली, मुंबई और कोलकाता घूमता रहा है. किसी भी गलत शख्स के साथ उसकी दोस्ती नहीं है.'
एनआईए वालो ने महरे आलम को पटना बुलाया था
'29 अक्टूबर को मेरा बेटा महरे आलम खुद पटना नहीं गया था. उसे एनआईए की टीम ने बुलाया था. पहले तो मेरा बेटा बोधगया जा रहा था लेकिन एनआईए वालों ने उसे पटना बुला लिया. मेरा बेटा निर्दोष है उसे फंसाया जा रहा है. एक बार जब एनआईए वालों ने मेरे बेटे की कस्टडी ले ली तो उसके बाद हमें दरभंगा लौट जाने को कहा. उन्होंने कहा कि वे जल्द ही महरे आलम को दरभंगा पहुंचा देंगे.'
एनआईए वाले लौटाएं मेरा बेटा...उसकी जान को खतरा है
'मुजफ्फरपुर से मेरे बेटे के एनआईए कस्टडी से फरार होने की मुझे कोई खबर नहीं है. मुझे सबकुछ मीडिया के जरिए पता चला है. महरे आलम के साथ मेरी आखिरी बात 29 अक्टूबर की रात को हुई थी. वो कह रहा था कि एनआईए उसे फंसा रही है. एनआईए वाले बंदूक की नोक पर उससे गुनाह कबूलने को कह रहे थे. इसके बाद से मुझे ये जानकारी नहीं कि वो कहां है. मेरे बेटे की जान को खतरा है. मेरे पास दिल्ली जाने के लिए पैसे नहीं है, ताकि मैं अपने बेटे को खोज सकूं. मेरे बेटे को गवाह के तौर पर बुलाया था पर अब एनआईए उसके बारे में कोई जानकारी नहीं दे रही. मेरे बेटे का मोबाइल बंद है. एनआईए ने मेरे बेटे के साथ क्या किया मुझे नहीं पता. मुझे मेरे बेटा वापस चाहिए. एनआईए वाले मेरे बेटे को वापस करें. देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी की चंगुल से मेरे बेटा कैसे भाग गया? इसके पीछे साजिश है. मेरे बेटे को जान-बूझकर फंसाया जा रहा है और अब उसकी जान को खतरा है.'
(पटना से कुमार अभिषेक और रोहित कुमार सिंह)
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