11 साल पहले हैदराबाद में हुए मक्का मस्जिद ब्लास्ट मामले में फैसला सुनाने के कुछ घंटों के अंदर एनआईए जज रविंद्र रेड्डी ने सभी को चौंकाते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. वह इस्तीफा देने के बाद छुट्टी पर चले गए हैं.
रेड्डी के इस्तीफे के कारणों का पता नहीं चल सका है. जानकारी के मुताबिक उन्होंने अपने इस्तीफे में निजी कारणों का हवाला दिया है और इसके बाद वह लंबी छुट्टी पर भी चले गए हैं. उनके इस्तीफे के बारे में तमाम कयास लगाए जा रहे हैं.
पता चला है कि जज रविंद्र रेड्डी दो महीनों में रिटायर होने वाले थे. वह तेलंगाना जूनियर जज एसोसिएशन के अध्यक्ष थे. रिपोर्ट के मुताबिक दो साल पहले उन्हें नियुक्ति के मामले में राजभवन के सामने धरना देने के लिए सस्पेंड भी किया गया था. जानकारी के मुताबिक उन्होंने चीफ जस्टिस से प्रार्थना की है कि उनका इस्तीफा स्वीकार होने तक उन्हें छुट्टी दी जाए.
जज रेड्डी के अचानक इस्तीफे से एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी हैरानी जताई है, और उन्होंने कहा कि उनका इस्तीफा हैरान करने वाला है और संदेह भी पैदा करता है.
Judge who gave acquittal to all accused in Mecca Masjid Blast RESIGNS very intriguing and I am surprised with the Lordship decision
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) April 16, 2018
2007 में हैदराबाद की ऐतिहासिक मक्का मस्जिद में हुए ब्लास्ट मामले में जुमे की नमाज के दौरान हुए धमाके के मामले में सोमवार को एनआईए की विशेष कोर्ट ने फैसला सुनाया. इस मामले में असीमानंद समेत सभी 5 आरोपियों को बरी कर दिया गया.
जांच अधिकारी को भी बीच से हटाया
दो हफ्ते पहले ही इस केस की जांच में शामिल एनआईए अधिकारी डॉ. प्रतिभा अंबेडकर को भी अचानक जांच से हटा दिया गया था. यूपी काडर की यह महिला अधिकारी डेप्युटेशन पर थीं और उन्हें तीन साल और आठ महीने हुए थे, लेकिन उन्हें समय पूरा होने उत्तर प्रदेश से बुला लिया गया. इस मामले पर उन्होंने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. इससे पहले 2015 में मुंबई की वरिष्ठ वकील रोहिनी सालियान ने एनआईए पर आरोप लगाया था कि उनसे 2008 के मालेगांव धमाके केस के आरोपी दक्षिणपंथी संगठनों के सदस्यों पर नरम रुख अपनाने का दबाव बनाया जा रहा था. मालेगांव धमाके के कुछ आरोपी मक्का मस्जिद धमाके के भी आरोपी थे.
यह है मामला
18 मई 2007 को हुए इस धमाके में करीब 9 लोगों की मौत हुई थी, वहीं 58 लोग घायल हुए थे. पिछले 11 साल में इस मामले में कई तरह के नाटकीय मोड़ आए. कई गवाह अपने बयान से पलटे जिसके कारण आज का यह फैसला आया. जब ये धमाका हुआ तो सबसे पहले इसकी जांच हैदराबाद पुलिस ने की.
पुलिस ने अपनी जांच में किसी मुस्लिम संगठन का नाम नहीं लिया था, लेकिन बाद में जब सीबीआई को जांच सौंपी गई. सीबीआई की जांच में हिंदूवादी संगठन अभिनव भारत का नाम आया, जिसके बाद 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया था.
सीबीआई अधिकारियों ने 68 चश्मदीदों की गवाही दर्ज की थी. इनमें से 54 गवाह अब गवाही से मुकर गए. सीबीआई ने इस मामले आरोपपत्र भी दाखिल किया.