जेल में बंद द्रमुक सांसद कनिमोझी ने दिल्ली की एक अदालत को बताया कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और तत्कालीन वित्तमंत्री पी. चिदंबरम 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस आवंटन से पूरी तरह अवगत थे और उन्होंने तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा के साथ इनकी नीलामी नहीं करने का फैसला किया था.
कनिमोझी की ओर से अपील करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील कुमार ने सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ओपी सैनी से कहा, ‘मैं आपको बैठक का ब्यौरा उपलब्ध करा रहा हूं जिसमें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तत्कालीन वित्त मंत्री और दूरसंचार मंत्री ने फैसला किया कि 2जी स्पेक्ट्रम के लाइसेंसों की बिक्री नीलामी नहीं की जाएगी.’
मामले से आरोपमुक्त किए जाने की मांग करते हुए 43 वर्षीय द्रमुक सांसद के वकील ने कहा कि सीबीआई का मामला इस बात पर आधारित है कि 2जी स्पेक्ट्रम के लिए लाइसेंसों की नीलामी नहीं कर आरोपी ने सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया.
कुमार ने कहा, ‘प्रधानमंत्री तत्कालीन वित्त मंत्री और वर्तमान दूरसंचार मंत्री गवाहों के रूप में यह साबित करने के लिए ‘सही व्यक्ति’ हैं कि कोई नुकसान नहीं हुआ. उन्होंने संसद में कहा था कि कोई नुकसान नहीं हुआ है.’ यह जोड़ते हुए कि सीबाआई का मामला जिस बात पर टिका है उससे कानूनी प्रक्रिया नहीं बनती कुमार ने कहा, ‘यदि नुकसान नहीं हुआ तो धोखाधड़ी का आरोप भी नहीं बनता.’
बचाव पक्ष के वकील ने सीबीआई और महानियंत्रक एवं लेखा परीक्षक (कैग) के नुकसान के आकलन को भी निराधार बताया और कहा कि ये आरोपी पर मुकदमा चलाने का आधार नहीं हो सकते. वकील ने कहा, ‘कैग रिपोर्ट (सरकारी खजाने को 1.76 लाख करोड़ रुपये का नुकसान) सदन के समक्ष 16 नवम्बर 2010 को रखी गई. इसे सदन ने स्वीकार नहीं किया था. यह अब भी अनिश्चित है कि सदन रिपोर्ट को स्वीकार करेगा.’
कनिमोझी के वकील ने सीबीआई के 30 हजार 984 करोड़ रुपये के नुकसान के आकलन पर भी सवाल खड़े किए और कहा कि इसका भी कोई आधार नहीं है क्योंकि आरोप पत्र में कहा गया है लाइसेंसों की नीलामी कर सरकार अधिक कमाई कर सकती थी. बचाव पक्ष के वकील ने कहा, ‘ये शब्द मुकदमे का आधार नहीं हो सकते क्योंकि आरोप पत्र में उपयुक्त पैरा (एक) पूर्ण मिथक है.’
उन्होंने तर्क दिया, ‘स्वान टेलीकाम प्राइवेट लिमिटेड और यूनिटेक वायरलेस तमिलनाडु प्राइवेट लिमिटेड (दोनों घोटाले की कथित लाभार्थी) द्वारा विदेशी कंपनियों क्रमश: एतिसलात और टेलीनोर को शेयरों की बिक्री को सरकार द्वारा मंजूरी दी गई थी. यह लाइसेंसों की बिक्री नहीं थी और इसलिए कोई नुकसान नहीं हुआ.’ द्रमुक प्रमुख एम करुणानिधि की बेटी की ओर से पेश वकील ने पूछा, ‘बिक्री कहां हुई (लाइसेंसों की)? धोखाधड़ी कहां हुई?’
कनिमोझी को सीबीआई ने घोटाले में उनकी कथित भूमिका के लिए 30 मई को गिरफ्तार किया था. भ्रष्टाचार के आरोपों और धोखाधड़ी तथा 2जी मामले में आपराधिक षड्यंत्र के आरोपों के विरोध में उनके तर्क अब भी जारी हैं. कनिमोझी खुद को आरोप मुक्त करने के लिए उसी तरह के तर्क दे रही हैं जैसे कि पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा ने दिए थे.
उन्होंने भी यह कहकर मामले में प्रधानमंत्री और चिदंबरम को घसीटने की मांग की थी कि स्पेक्ट्रम लाइसेंसधारकों द्वारा हिस्सेदारी कम किए जाने के मुद्दे पर उनके साथ चर्चा की गई थी. वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील कुमार राजा और कनिमोझी दोनों की वकालत कर रहे हैं.