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आरे में पेड़ों की कटाई पर आक्रोश, पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को 5 किलोमीटर पहले रोका

पर्यावरण से प्रेम करने वाले विरोध में उतर आए.  लेकिन अब आरे हरियाली की, पेड़ों को बचाने की जंग हार चुका है. सूत्रों की मानें तो 1500 से अधिक पेड़ काटे जा चुके हैं.

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आरे में विरोध-प्रदर्शन करते लोग (फोटोः ANI)
आरे में विरोध-प्रदर्शन करते लोग (फोटोः ANI)

  • अपने सहयोगी दल की सरकार के विरोध में उतरी शिवसेना
  • विपक्षी कांग्रेस-एनसीपी ने ट्वीट के जरिए जमकर किया विरोध

आरे पर शुक्रवार की रात को शुरू हुई रार रविवार को भी जारी है. सूत्रों की मानें तो 1500 से अधिक पेड़ काटे जा चुके हैं. पेड़ों की कटाई से आक्रोशित मुंबई के लोगो ने प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने पांच किलोमीटर पहले रोक दिया.  हालात लगभग वैसे ही हैं, जैसे शनिवार को थे. पुलिस प्रशासन द्वारा लगाई धारा 144 लागू है. आरे के लोकल लोगों को वैलिड पहचान पत्र दिखाने पर जाने दिया जा रहा है. आरे जाने वाले चारों रास्तों पर पुलिस ने बैरिकेड लगा रखा है. मौके पर कुछ और जेसीबी मशीनें मंगवाई गई हैं.

गौरतलब है कि लगभग 25 सौ पेड़ों की एक साथ कटाई के आदेश बाद प्रकृति प्रेमियों ने इसे रोकने के लिए तमाम प्रयास किए. एनजीटी से लेकर हाई कोर्ट तक में गुहार लगाई, मुंबई जैसे घनी आबादी वाले शहर के पास आरे पर हर गुहार बेकार गई. शुक्रवार देर शाम पेड़ों की कटाई शुरू हुई. पर्यावरण से प्रेम करने वाले विरोध में उतर आए. लेकिन अब आरे हरियाली की, पेड़ों को बचाने की जंग हार चुका है. चिपको आंदोलन की तर्ज पर पेड़ों से लिपटकर आरे के जंगल में चल रही आरी की रफ्तार को कुंद करने की कोशिश की गई, लेकिन वह नाकाम रही.

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aarey_protest_a_100619083831.jpgपेड़ काटे जाने के विरोध में प्रदर्शन करते लोग (फोटोः ANI)

गौरतलब है कि पुलिस ने 29 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर बोरिवली कोर्ट में पेश किया, जहां कोर्ट ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया. यह सभी छात्र बताए जा रहे हैं. इनके परिजन रविवार को मीडिया से बात करेंगे. फिल्मी सितारों द्वारा समर्थन में ट्वीट किए जाने के बाद मुंबईकरों ने आरे का रुख करना शुरू कर दिया. मौके पर आरे कॉलोनी के लोगों को जैसे-तैसे मौके से खदेड़ने की कोशिश में जुटी पुलिस-प्रशासन को शायद यह एहसास हो गया कि आम लोग जब जुट जाएंगे तो हालात पर काबू पाना भी मुश्किल होगा और पेड़ों की कटाई भी.

हालात की गंभीरता और धार पकड़ते आंदोलन की आहट के बीच प्रशासन ने तीन किलोमीटर के रेडियस में धारा 144 लागू कर मीडिया के प्रवेश पर भी पाबंदी लगा दी थी. शीतल छाया देने वाले हरे-भरे हजारों पेड़ों की कटाई से तापमान तो बढ़ना ही था. ऐसा ही हुआ भी, हालांकि वह था सियासी तापमान. शिवसेना खुलकर अपनी सहयोगी पार्टी की सरकार के विरोध में उतर आई.

शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने पेड़ काटने वालों को हत्यारा करार दे दिया और अपनी सरकार पर बनने पर देख लेने की बात कही. वहीं उनके बेटे आदित्य ठाकरे ने भी नाम लिए बगैर भारतीय जनता पार्टी, उसकी सरकार और केंद्रीय मंत्रियों पर प्रहार किए. आदित्य ने कहा कि जब इस तरह से पेड़ काटे जा रहे हैं, प्लास्टिक बैन की बात करने का कोई प्वाइंट नहीं है.

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आरे पहुंचीं शिवसेना की नेता

शिवसेना की नेता शीतल महात्रे शुक्रवार की देर रात ही आरे पहुंच गई थीं. महात्रे ने विरोध कर रहे लोगों के बीच अपनी तस्वीर ट्विटर पर साझा की था. इसे रीट्वीट करते हुए भी आदित्य ठाकरे ने सरकार पर सतत विकास से जुड़ी संवेदनशील मांग न सुनने का आरोप लगाते हुए सवाल खड़े किए थे. आदित्य ठाकरे इस मसले को लेकर लगभग पूरे दिन ट्विटर पर सक्रिय रहे.

sheetal_100619090114.jpgआरे पहुंचीं शिवसेना नेता शीतल महात्रे (फोटोः ट्विटर)

प्रियंका चतुर्वेदी को हिरासत में लिया

सरकार में रहते हुए विविध अवसरों पर विरोधी तेवर दिखाने वाली शिवसेना ने आरे पर भी मोर्चा संभाला. शनिवार को प्रियंका चतुर्वेदी ने आरे जाने का ऐलान किया. आरे जाते समय उन्हें पुलिस ने हिरासत में ले लिया. चुनावी मौसम होने के बावजूद आरे की रार के फ्रेम से विपक्षी कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) बेहद दूर रह गए.

एनसीपी- कांग्रेस ने ट्वीट कर निभाया कोरम

पिछले पांच साल से विपक्ष में कांग्रेस और एनसीपी के नेताओं सुप्रिया सुले और मिलिंद देवड़ा ने विरोध में ट्वीट किए. जनाक्रोश के बावजूद मुद्दे को धार देने में विपक्ष चुनावी मौसम में भी नाकाम रहा और सरकार में सहयोगी शिवसेना इनसे काफी आगे नजर आई. कांग्रेस नेता देवड़ा ने जहां पेड़ काटने को अपने फेफड़े में चाकू गोदने जैसा बताया, वहीं सुप्रिया सुले ने सरकार से अन्य विकल्पों पर विचार की अपील की.

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बता दें कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने आरे में चल रहे विरोध प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया जताते हुए दिल्ली मेट्रो का उदाहरण दिया था. उन्होंने कहा था कि दिल्ली मेट्रो के लिए भी पेड़ काटे गए थे. तब भी विरोध हुआ था. बाद में एक के बदले पांच वृक्ष लगाए भी गए थे.

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