दिल्ली हिंसा के शोर और हंगामे के बीच लोकसभा ने बुधवार को प्रत्यक्ष कर माफी योजना 'विवाद से विश्वास' विधेयक को पारित कर दिया. इस कदम से वित्त वर्ष 2019-20 के समाप्त होने से पहले सरकार को राजस्व जुटाने में मदद मिलेगी.
बढ़ते कर विवादों के साथ सरकार अपने केंद्रीय बजट में विवाद नहीं, बल्कि विश्वास योजना (विवाद से विश्वास योजना) के साथ आई है, जिससे प्रत्यक्ष कर विवादों को सुलझाने में मदद मिलेगी. राजस्व विभाग ने कहा कि विभिन्न अपीलीय मंचों जैसे कि आयुक्त (अपील), आईटीएटी, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में 4,83,000 प्रत्यक्ष कर मामले लंबित हैं. इन विवादों में 9.5 लाख करोड़ रुपये की राशि फंसी है.
प्रस्तावित माफी योजना के तहत एक करदाता को केवल विवादित करों की राशि का भुगतान करना होगा. ब्याज और जुर्माने पूरी तरह से माफ होगा, बशर्ते वह 31 मार्च 2020 तक राशि का भुगतान कर दे.
विवादित जुर्माना मामले में ब्याज और शुल्क विवादित कर के साथ जुड़ा नहीं होगा. करदाता को विवाद निपटाने के लिए केवल 25 फीसदी का भुगतान करना होगा.
1 अप्रैल पर बढ़ जाएगा जुर्माना
एक करदाता को 31 मार्च 2020 के बाद भुगतान पर विवादित कर का 110 फीसदी भुगतान करना होगा और जुर्माना, ब्याज और शुल्क का 30 फीसदी देना होगा.
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उद्योग जगत ने इस योजना योजना का स्वागत किया है और कर विशेषज्ञों ने कहा है कि संस्थाएं पुराने कर विवादों को निपटाने के लिए उत्सुक हैं, जहां बहुत अधिक ब्याज हो गया है.
विवाद से विश्वास की तरह ही पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जुलाई 2019 में अप्रत्यक्ष कर से संबंधित मामलों को निपटाने के लिए 'इनडायरेक्ट टैक्स, सबका विश्वास' योजना लेकर आई थीं.
(इनपुट-IANS)