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48 घंटों में हो जाएगा भूमि अध्यादेश पर फैसला: अरुण जेटली

अबतक विवादों का पिटारा साबित हुए भूमि अधिग्रहण बिल पर जल्द ही कोई राह निकल सकती है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को कहा कि अगले 48 घंटों में लैंड बिल पर फैसला हो जाएगा.

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वित्त मंत्री अरुण जेटली की फाइल फोटो
वित्त मंत्री अरुण जेटली की फाइल फोटो

अबतक विवादों का पिटारा साबित हुए भूमि अधिग्रहण बिल पर जल्द ही कोई राह निकल सकती है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को कहा कि अगले 48 घंटों में लैंड ऑर्डिनेंस पर फैसला हो जाएगा. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक पर अध्यादेश लाने को लेकर संशय बनाये रखा और कहा कि इस संबंध में अगले 48 घंटे में फैसला ले लिया जायेगा. जेटली से जब यह पूछा गया कि क्या सरकार ने भूमि अधिग्रहण विधेयक पर अध्यादेश लाने के बारे में फैसला ले लिया है? जबाव में उन्होंने कहा, ‘अगले 48 घंटे प्रतीक्षा कीजिये (भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पर फैसले के लिये).’ भूमि अधिग्रहण पर इससे पहले जारी अध्यादेश 31 अगस्त को समाप्त हो रहा है.

भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को लेकर काफी राजनीतिक विवाद खड़ा हुआ है. इस पर तीन बार अध्यादेश जारी हो चुका है. तीसरी बार जारी अध्यादेश की अवधि 31 अगस्त को समाप्त हो रही है. अध्यादेश के जरिये औद्योगिक परियोजनाओं के लिये भूमि अधिग्रहण को आसान बनाया गया है.

सरकार ने शुक्रवार को भूमि विधेयक पर फिर से अध्यादेश लाने के बदले एक सांविधिक आदेश जारी किया है. इस आदेश के जरिये 13 कानूनों के तहत अधिग्रहित की गई भूमि के एवज में मुआवजा सुनिश्चित करने और भूमि धारकों के सुरक्षा उपाय और पुनरद्धार सुनिश्चित होगा.

सरकार और रिजर्व बैंक
हाल ही में शेयर बाजार में आई भारी गिरावट के बाद से वित्त मंत्रालय में हलचल देखी जा रही है. जेटली ने मौद्रिक नीति पर सरकार और रिजर्व बैंक में किसी किस्म के मतभेद से इनकार किया. जेटली ने कहा मौद्रिक नीति समिति के मामले में सरकार और रिजर्व बैंक एक ही दिशा में काम कर रही हैं. जेटली की यह सफाई इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन और देश के वित्त मंत्री अरुण जेटली के मतभेदों की खबर जब-तब सामने आती रहती है.

जेटली बनाम राजन
मसलन, जेटली लंबे अरसे से चाहते रहे हैं कि RBI गवर्नर राजन अर्थव्यवस्था में निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए ब्याज दरों में खासी कटौती कर दें, पर राजन उनकी बात मानने के लिए तैयार नहीं हैं. दूसरे, राजन अक्सर मोदी सरकार की कई अर्थव्यवस्था संबंधी दावेदारियों पर भी सवालिया निशान लगाते रहते हैं. अपने एक व्याख्यान में वे ‘मेक इन इंडिया’ को भारत के लिए अव्यावहारिक बताकर उसकी आलोचना कर चुके हैं. बैंकिंग सेक्टर में सुधारों के प्रश्न पर भी उनकी राय अलग किस्म की है.

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