scorecardresearch
 

पाकिस्तान की अदालत ने खारिज की लखवी की जमानत याचिका

पाकिस्तान की आतंकवाद निरोधक अदालत ने मुंबई हमलों के आरोपी लश्कर-ए-तैयबा के ऑपरेशन कमांडर जकीउर रहमान लखवी की जमानत याचिका खारिज कर दी है. इस अदालत में हमलों में शामिल होने के आरोप में सात संदिग्धों के खिलाफ मुकदमा चल रहा है.

Advertisement
X

पाकिस्तान की आतंकवाद निरोधक अदालत ने मुंबई हमलों के आरोपी लश्कर-ए-तैयबा के ऑपरेशन कमांडर जकीउर रहमान लखवी की जमानत याचिका खारिज कर दी है. इस अदालत में हमलों में शामिल होने के आरोप में सात संदिग्धों के खिलाफ मुकदमा चल रहा है.

सूत्रों ने बताया कि रावलपिंडी की आतंकवादनिरोधक अदालत के न्यायाधीश मलिक मुहम्मद अकरम अवान ने लखवी की जमानत याचिका इस आधार पर खारिज कर दी कि यह विचार के काबिल नहीं है.

लखवी के वकील ख्वाजा सुल्तान ने कहा कि उसका मुवक्किल जमानत के लिए अब लाहौर उच्च न्यायालय जाएगा. इसके पहले अभियोजन ने आरोप लगाया था कि मामले की सुनवाई में देरी करने के लिए बार-बार विभिन्न प्रकार की याचिकाएं दायर की जा रही है.

सुल्तान ने कहा, ‘‘हम आतंकवाद निरोधक अदालत का विस्तृत आदेश मिलने के बाद उच्च न्यायालय में आवेदन दायर करने की तारीख का फैसला करेंगे.’’ सुल्तान ने दावा किया है कि लखवी को जमानत दी जानी चाहिए थी क्योंकि अभियोजन उसके खिलाफ मुंबई हमलों से जुड़े होने के बारे में कोई ठोस सबूत नहीं पेश कर सका.{mospagebreak}सुल्तान ने तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष का मामला सिर्फ अजमल आमिर कसाब के बयान के आधार पर था. उसने दावा किया कि अभियोजन पक्ष ने पांच पुलिसकर्मियों को पेश किया, जिन्होंने बयान दिया कि लखवी लश्कर का शीषर्स्थ कमांडर है, लेकिन वे लखवी को मुंबई हमलों से जोड़ने वाला कोई सबूत नहीं पेश कर सके.

Advertisement

अभियोजन ने यह कहते हुए लखवी की जमानत याचिका को चुनौती थी कि उनके पास लखवी पर शिकंजा कसने के लिए पर्याप्त सबूत हैं. मुंबई हमलों के मामले में अगली सुनवाई 18 सितंबर को होगी.

संभावना है कि उस सुनवाई के दौरान न्यायाधीश अवान अभियोजन पक्ष की ओर से दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई करें. इनमें से एक सातों आरोपियों के आवाजों के नमूने लेने से संबंधित है, जबकि दूसरी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बयान लेने के लिए एक भारतीय मजिस्ट्रेट और पुलिस अधिकारी से जुड़ी है. बचाव पक्ष ने इन दोनों याचिकाओं का यह कहते हुए विरोध किया है कि पाकिस्तानी कानून के तहत इनकी मंजूरी नहीं दी जा सकती.

Advertisement
Advertisement