पाकिस्तान के एक वरिष्ठ सरकारी कानून अधिकारी ने कहा है कि मुंबई हमलों के मामले में लश्कर ए तैयबा कमांडर जकीउर रहमान लखवी और छह अन्य संदिग्धों पर शिकंजा कसने के लिये अधिकारियों के पास 161 गवाह और पुख्ता सबूत हैं.
विशेष सरकारी वकील मलिक रब नवाज नून ने संवाददाताओं को बताया, ‘‘वर्ष 2008 के मुंबई हमलों में लखवी और अन्य आरोपियों की संलिप्तता को साबित करने के लिये हमारे पास 161 गवाह और पुख्ता सामग्री है.’’ आंतरिक मंत्रालय ने रावलपिंडी स्थित आतंकवाद निरोधक अदालत में अभियोजन दल के नेतृत्व के लिए नून की सेवाएं ली है. यह अदालत लखवी और अन्य संदिग्धों की सुनवाई कर रही है.
नून ने मुंबई हमलों के दौरान गिरफ्तार किये गये आतंकवादी अजमल आमिर कसाब द्वारा भारतीय अधिकारियों के समक्ष दिये गये इकबालिया बयान की वैधता पर बचाव पक्ष के वकील की आपत्ति को खारिज करते हुए कहा कि इसे एक सरकार ने दूसरे सरकार से उचित माध्यमों से प्राप्त किया है. नून ने बताया, ‘‘इस्लामाबाद स्थित ‘नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ माडर्न लैंगुएजेज’ के हिंदी विभाग से हमने उसका अनुवाद करा लिया है.’’
उधर, लखवी के वकील ने लाहौर उच्च न्यायालय की रावलपिंडी पीठ में एक याचिका दायर कर आतंकवाद निरोधक अदालत के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसके तहत उसी बरी किये जाने की अपील को खारिज कर दिया गया था. लखवी ने अपनी याचिका में कहा है कि उसके खिलाफ कार्यवाही खत्म की जानी चाहिए और उसे आपराधिक दंड संहिता की धारा 265 के तहत बरी कर देना चाहिए क्योंकि उसके खिलाफ एक भी सबूत या गवाह नहीं है. उसने यह दलील भी दी है कि उसे दोषी ठहराये जाने की संभावना नहीं है.
लखवी ने अपील की है कि कसाब का इकबालिया बयान पाकिस्तानी कानून के तहत उसके खिलाफ सबूत के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि संघीय जांच एजेंसी द्वारा पेश किये गये तीनों आरोप पत्रों में से किसी में भी न तो आरोपी के रूप में कसाब का नाम लिया गया है और ना ही उसे घोषित अपराधी बताया गया है.
न्यायमूर्ति नसीर सईद और ख्वाजा इम्तियाज अहमद की सदस्यता वाली पीठ ने अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. बहरहाल, लाहौर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ख्वाजा मोहम्मद शरीफ ने इन दोनों न्यायाधीशों को लाहौर बुलाया है और उनके स्थान पर किसी अन्य की नियुक्ति के बारे में अगले हफ्ते तक फैसले की घोषणा किये जाने की उम्मीद है.