प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लक्ष्मणराव इनामदार के जन्मशती समारोह में कहा कि महाराष्ट्र के रहने वाले इनामदार एक ऐसे व्यक्ति थे जो पर्दे के पीछे रहकर काम करते थे और देश में सहकारिता आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनकी कर्मभूमि गुजरात रही. उनके जन्म शती दिवस को सहकारिता दिवस के रुप में मनाया गया.
बता दें कि वकील बाबू के नाम से मशहूर इस व्यक्ति का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन में बड़ी भूमिका रही और एक तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुरु भी थे. लक्ष्मणराव इनामदार को मोदी का राजनीतिक गुरु भी माना जाता है. इनामदार ने 1969 में सहकार भारती के नाम से बड़ा सहकारी आंदोलन चलाया था. इस मौके पर प्रधानमंत्री ने लक्ष्मणराव इनामदार से जुड़ी दो किताबों का विमोचन भी किया.
मोदी और वकील साहब
मोदी ने सिर्फ सरदार पटेल की कांस्य प्रतिमाओं और स्वामी विवेकानंद के कैलेंडरों से प्रेरणा ली है. लेकिन वकील साहब कहलाने वाले इनामदार का जिक्र आने पर कहानी में टर्निंग पॉइंट आ जाता है. बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारणी के सदस्य शेषाद्रि चारी के अनुसार नरेंद्र मोदी ने अपने शुरुआती साल संघ में गुजारे और उन पर सबसे ज्यादा असर वकील साहब का रहा.
इस मौके पर मोदी ने कहा कि अब जरूरत इस बात की है कि सहकारिता के क्षेत्र में काम करने वाले लोग मधुमक्खी पालन और सी वीड, यानी समंदर के पानी में पैदा होने वाली वनस्पति को उगाकर 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुना करने के लक्ष्य को पूरा करें. मोदी ने कहा कि अगर देश में किसानों की स्थिति को बेहतर करना है और उनकी आमदनी को दुगना करने का लक्ष्य को हासिल करना है तो सहकारिता क्षेत्र को इसके लिए बड़ी भूमिका निभानी होगी. श्वेत क्रांति का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दूध के उत्पादन में सहकारिता ने ऐसी भूमिका निभाई, जिससे किसानों की जिंदगी पूरी तरह बदल गई.
सहकारिता के सफल होने के लिए जरूरी है कि किसान अपनी जरूरत की चीजें थोक भाव में खरीद सके और अपनी उत्पादन को रिटेल की कीमतों पर बेच सके ताकि बिचौलियों की मुनाफाखोरी से बचा जा सके. उन्होंने कहा कि देश में फिलहाल स्थिति ऐसी है कि किसानों को पूरी कीमत नहीं मिलती, लेकिन बिचौलिए उसका फायदा उठा लेते हैं. लेकिन अगर सहकारिता की भूमिका बड़े तो ऐसा नहीं होगा.
मोदी ने कहा कि फिलहाल देश के ज्यादातर हिस्सों में सहकारिता चीनी और दूध के उत्पादन तक सीमित है लेकिन वहां प्रतिस्पर्धा बहुत बढ़ चुकी है. इसलिए जरूरी है कि सहकारिता की सफलता को नए-नए क्षेत्रों में आजमाया जाए.
मोदी ने दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में सहकारिता क्षेत्र के लोगों को कई नए सुझाव दिए, जिसमें सहकारिता की भूमिका हो सकती है. प्रधानमंत्री ने कहा कि जब से देश में नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन शुरू हुआ है, तब से नीम की खपत और जरूरत बहुत बढ़ गई है. ऐसे में नीम के पत्तों और फलों को जमा करना उनका उत्पादन करना और उन्हें भेजना सहकारिता के लिए एक नया क्षेत्र हो सकता है.
इसी तरह से मधुमक्खी पालन को बड़े पैमाने पर करके किसान इससे अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं. मोदी ने कहा कि इस मछली पालन में लगे लोगों के लिए बरसात का मौसम मुश्किल भरा होता है क्योंकि उस समय मौसम की वजह से समंदर में जाना बहुत कम हो जाता है. ऐसे में किसान सहकारी समिति बनाकर समंदर के किनारे सीवीड की खेती कर सकते हैं जिस कि आजकल दवा के क्षेत्र में बहुत मांग है.