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Opinion: अरविंद केजरीवाल का बड़ा दांव

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने अब एक और बड़ा दांव खेला है. उन्होंने दो केन्द्रीय मंत्रियों और रिलायंस समूह के चेयरमैन मुकेश अंबानी के खिलाफ फौजदारी मुकदमा दायर करने का आदेश दिया है.

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दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने अब एक और बड़ा दांव खेला है. उन्होंने दो केन्द्रीय मंत्रियों और रिलायंस समूह के चेयरमैन मुकेश अंबानी के खिलाफ फौजदारी मुकदमा दायर करने का आदेश दिया है. उनका आरोप है कि प्राकृतिक गैस (नैचुरल गैस) की कीमतें तय करने में बेईमानी हुई है और इसके लिए दो मंत्री मुरली देवड़ा और वीरप्पा मोइली तथा मुकेश अंबानी जिम्मेदार हैं. उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि देश में गैस की कोई कमी नहीं है और व्यक्तिगत हितों को फायदा पहुंचाने के लिए गैस की कीमतें 4 डॉलर से बढ़ाकर 8 डॉलर तय की गई हैं और यह अप्रैल से लागू होंगी जिससे देश में महंगाई बढ़ेगी. इससे रिलांयस को 54,000 करोड़ रुपए का फायदा होगा.

अब यह मामला भ्रष्टाचार का है या नहीं, यह तो किसी निष्पक्ष जांच से पता चलेगा. अरविंद केजरीवाल की इस बात में भी दम है कि इससे देश में महंगाई बढ़ेगी. लेकिन सवाल कई और हैं. बड़ा सवाल है कि जब गैस की कीमतें तय करने की प्रक्रिया चल रही थी तो अरविंद केजरीवाल ने क्या किया? बेशक वह उस समय सीएम नहीं थे लेकिन एक्टिविस्ट तो थे ही. उससे भी बड़ा सवाल है कि आखिर दिल्ली की तमाम समस्याओं को छोड़कर वह एक बड़े राष्ट्रीय विषय पर क्यों जा टिके? यह विषय दिल्ली के लिए महत्वपूर्ण है और इसे भी उन्हें उठाने का पूरा हक है लेकिन बाकी मुद्दों का क्या होगा? इसके अलावा एक प्रशासनिक सवाल भी उठता है कि क्या दिल्ली सरकार को किसी केन्द्रीय मंत्री पर मुकदमा दायर करने का आदेश देने का हक है? अगर ऐसे मुद्दों पर राज्य सरकारें जांच करने लगीं और मुकदमें दायर करने का आदेश देने लगीं तो देश में क्या होगा?

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संविधान के मुताबिक केन्द्र सरकार को उससे संबंधित मामलों में फैसला करने का अधिकार है और उसने देश में उत्पादित गैस की कीमतें बढ़ाने का फैसला किया. अब कोई राज्य सरकार इस तरह के फैसलों पर उंगली तो उठा सकती है लेकिन उसे भ्रष्टाचार का मामला बताकर कोई मुकदमा दायर नहीं कर सकती. जाहिर है केजरीवाल ने इस मामले की नजाकत को समझ कर एक बड़ा दांव खेला है ताकि लोगों की सहानुभूति उनके साथ रहे और उनकी घटती लोकप्रियता को सहारा भी मिले. दरअसल वह अपने एक्टिविस्ट वाले रूप में बने रहना चाहते हैं. यह उनके व्यक्तित्व का हिस्सा है और यही उन्हें प्रेरणा देता है.

बात साफ है. केजरीवाल ने एक बड़ा दांव चल दिया है. वह अपनी साख भी बचाने की कोशिश कर रहे हैं और थोड़ा ध्यान भटकाने की भी.

(लेखक वरिष्‍ठ पत्रकार और 'आज तक' के संपादकीय सलाहकार हैं)

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