कश्मीर में सक्रिय लड़कियों के एकमात्र बैंड से तीन किशोरी सदस्यों ने बाहर निकलने का फैसला किया है. यह निर्णय सर्वोच्च मुफ्ती द्वारा गाने को गैर इस्लामिक बताए जाने और इसे छोड़ने के लिए कहने के एक दिन के बाद सामने आया है.
हालांकि लड़कियों ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है. उनके करीबी सूत्रों ने बताया कि उन्होंने गायिकी और संगीत को छोड़ने का निर्णय लिया है.
लड़कियों ने पुरूष के वर्चस्व वाले क्षेत्र में कदम रखा लेकिन समाज के रूढिवादी समाज द्वारा उन्हें ऑनलाइन धमकी दी गयी और अपशब्द कहा गया.
क्या गैर इस्लामिक है गायिकी?
सर्वोच्च मुफ्ती बशिरूद्दीन अहमद ने रविवार को गायिकी को गैर इस्लामिक करार दिया था.
अहमद ने कहा ‘मैंने कहा है कि गायिकी इस्लामिक शिक्षा के अनुरूप नहीं है.’ उन्होंने कहा कि मैंने कश्मीर के पहले लड़कियों के बैंड के सदस्यों को सलाह दी है कि वह गायिकी छोड़ दें क्योंकि यह इस्लाम के शिक्षा के विरूद्ध है और इससे उन्हें समाज में किसी तरह का रचनात्मक भूमिका निभाने में मदद नहीं मिलेगी.
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला सहित बड़ी संख्या में लोग इन लड़कियों की मदद में सामने आए. यहां तक कि उमर ने अपने ट्विटर पेज पर इस खबर को खारिज कर दिया लेकिन बाद में इस ट्वीट को हटा लिया.