कांची कामकोटि पीठ के प्रमुख शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को आज समाधि दी गई. बुधवार को निधन के बाद करीब 1 लाख से अधिक लोग उनके अंतिम दर्शन कर चुके हैं. जयेंद्र सरस्वती की महासमाधि के पहले उनके शरीर पर भभूत का लेप लगाया गया. संतों-महंतों-ऋषियों-आचार्यों ने शंकराचार्य के चरणों में पुष्पांजलि अर्पित की. उनकी आत्मा की शांति के लिए मंत्रोच्चार किए गए.
उनके अंतिम संस्कार में तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित समेत दक्षिण की कई बड़ी हस्तियों ने अंतिम दर्शन किए. जयेंद्र सरस्वती का देहांत बुधवार सुबह हुआ था, वह 82 वर्ष के थे. जयेंद्र सरस्वती को सांस लेने में आ रही दिक्कत के बाद अस्पताल में भर्ती किया गया था, इलाज के दौरान उनका देहांत हुआ.
पार्थिव देह को दफनाने की प्रकिया जिसे वृंदावन प्रवेशम कहा जाता है, अभिषेकम अथवा स्नान के साथ शुरू हुई. अभिषेकम के लिए दूध एवं शहद जैसे पदार्थों का इस्तेमाल किया गया. अभिषेकम की प्रक्रिया श्री विजयेंद्र सरस्वती तथा परिजन की मौजूदगी में पंडितों के वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मठ के मुख्य प्रांगण में हुई.
Kanchipuram: Tamil Nadu governor Banwarilal Purohit pays tribute to Kanchi Sankara Mutt head #JayendraSaraswathi who passed away yesterday. pic.twitter.com/X6DZ87Mudb
— ANI (@ANI) March 1, 2018

Tamil Nadu: Last rites ceremony of Kanchi Sankara Mutt head #JayendraSaraswathi begins in Kanchipuram. He had passed away yesterday. His successor Vijayendra Saraswati Swamigal (on right) present. pic.twitter.com/1vngSFBJdV
— ANI (@ANI) March 1, 2018
18 जुलाई 1935 को जन्मे जयेंद्र सरस्वती कांची मठ के 69वें शंकराचार्य थे. वे 1954 में शंकराचार्य बने थे. कांची मठ कई स्कूल, आंखों के अस्पताल चलाता है. इस मठ की स्थापना खुद आदि शंकराचार्य ने की थी. जयेंद्र सरस्वती को 22 मार्च, 1954 को सरस्वती स्वामिगल का उत्तराधिकारी घोषित किया गया था.
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बुधवार को देशभर में कई बड़ी हस्तियों ने उनके निधन पर दुख व्यक्त किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जयेंद्र सरस्वती के निधन पर दुख व्यक्त किया था. प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर लिखा कि शंकराचार्य हमेशा हमारे दिल में जिंदा रहेंगे. उन्होंने समाज के लिए काफी काम किया है. प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान शंकराचार्य के साथ अपनी पुरानी तस्वीरें भी साझा की थी. प्रधानमंत्री के अलावा राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत कई लोगों ने उनके निधन पर दुख व्यक्त किया.
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2004 में कांचीपुरम मंदिर के मैनेजर की हत्या के मामले में जयेंद्र सरस्वती का नाम आया था. लेकिन 2013 में उन्हें बरी कर दिया गया था. इस मामले में 2004 में उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था, उन्हें करीब 2 महीने न्यायिक हिरासत में रखा गया था.
महज 19 साल की उम्र में शंकराचार्य बन गए थे जयेंद्र सरस्वती
बता दें कि कांची मठ कांचीपुरम में स्थापित एक हिंदू मठ है. यह पांच पंचभूतस्थलों में से एक है. यहां के मठाधीश्वर को शंकराचार्य कहते हैं. कांची कामकोटि पीठ के 69वें शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती का इस पद पर आसीन होने से पहले का नाम सुब्रमण्यम था.