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कौन हैं के परासरण, जिनके घर को बनाया गया है राम मंदिर ट्रस्ट का दफ्तर

इस ट्रस्ट में कुल 15 सदस्य होंगे. इनमें से 9 स्थायी और 6 नामित सदस्य होंगे. यह ट्रस्ट यानी न्यास अयोध्या में अब विवाद मुक्त 66 एकड़ भूमि पर श्री रामजन्मभूमि मंदिर का निर्माण कराएगा.

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वरिष्ठ वकील के. परासरण (फोटो: www.revenuebar.org)
वरिष्ठ वकील के. परासरण (फोटो: www.revenuebar.org)

  • के परासरण बने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के ट्रस्टी
  • के परासरण ने सबरीमाला केस में भी रखी थीं अपनी दलीलें
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए बुधवार को मोदी सरकार ने ट्रस्ट गठन का ऐलान कर दिया. गृह मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में ट्रस्ट का नाम 'श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' बताया गया है. पीएम नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लोकसभा में इसी घोषणा की थी. केंद्र सरकार ने ट्रस्ट के सदस्यों के नाम का ऐलान भी कर दिया है.

सुप्रीम कोर्ट में रामलला को मुकदमा जिताने वाले वरिष्ठ वकील केशव अय्यंगार परासरण की अध्यक्षता में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन किया गया है. 'श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' ट्रस्ट के कार्यालय का पता ग्रेटर कैलाश स्थित परासरण का दफ्तर ही है. के परासरण वही वकील हैं, जो 92 साल की उम्र में भी सुप्रीम कोर्ट में घंटों खड़े होकर राम मंदिर के लिए बहस करने के कारण सुर्खियों में रहे.

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9 स्थायी 6 नामित सदस्य

बता दें कि इस ट्रस्ट में कुल 15 सदस्य होंगे. इनमें से 9 स्थायी और 6 नामित सदस्य होंगे. यह ट्रस्ट यानी न्यास अयोध्या में अब विवाद मुक्त 66 एकड़ भूमि पर श्रीराम जन्म भूमि मंदिर का निर्माण कराएग. साथ ही क्षेत्र के विकास की योजना बनाकर उनका क्रियान्वयन कराने का दायित्व भी इसी न्यास का हो होगा.

इंडियन बार के पितामह के नाम से प्रसिद्ध

सुप्रीम कोर्ट में रामलला विराजमान की ओर से दलीलें के परासरण ने दी थीं. 92 साल के के. परासरण को इंडियन बार का पितामह कहा जाता है.

-    के. परासरण ने रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में रामलला विराजमान की ओर से पक्ष रखा. वह हिंदू शास्त्रों के विद्वान हैं, वकीलों के खानदान से आते हैं. के. परासरण दो बार देश के अटॉर्नी जनरल रह चुके हैं.

-    रामजन्मभूमि मामले की सुनवाई के दौरान उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि अपनी अंतिम सांस लेने से पहले वह इस केस में पूरा न्याय चाहते हैं.

-    मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे संजय किशन कॉल ने के. परासरण को इंडियन बार का पितामह कहा था.

पढ़ें: 67 एकड़ जमीन...ट्रस्ट का नाम... PM मोदी ने किया अयोध्या में राम मंदिर प्लान का ऐलान

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-    अयोध्या केस के अलावा के. परासरण ने सबरीमाला केस में नायर सोसाइटी की ओर से दलीलें रखी हैं.

-    के. परासरण ने 1958 में सुप्रीम कोर्ट में बतौर वकील प्रैक्टिस शुरू की. जब देश में आपातकाल लगा तो वह तमिलनाडु के एडवोकेट जनरल थे, 1980 में वह देश के सॉलिसिटर जनरल बने. 1983 से 1989 तक वह देश के अटॉर्नी जनरल रहे.

प्रियंका गांधी वाड्रा के लिए भी लड़े केस

-    के. परासरण मौजूदा कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के लिए भी केस लड़ चुके हैं. 1997 में तीस हजारी कोर्ट में प्रियंका की ओर से उन्होंने केस लड़ा था. तब एक व्यक्ति ने याचिका दायर की थी कि रॉबर्ट वाड्रा से शादी होने से पहले ही प्रियंका की शादी उसके साथ हो गई थी.

पढ़ें: कौन हैं विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र, जिन्हें मिली राम मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी

मनमोहन सरकार में मिला पद्म विभूषण

-    अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने के. परासरण को पद्म भूषण से नवाजा. बाद में मनमोहन सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से नवाजा और राज्यसभा के लिए नॉमिनेट भी किया. 2019 में ही उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के द्वारा उन्हें मोस्ट एमिनेंट सीनियर सिटीजन अवॉर्ड दिया गया.

-    के. परासरण का जन्म साल 1927 में तमिलनाडु के श्रीरंगम में हुआ था. उनको वकालत विरासत में मिली. उनके पिता भी वकील थे. परासरण ने साल 1958 में वकालत की प्रैक्टिस शुरू की थी. तब से लेकर अब तक कई सरकारें आईं और गईं, लेकिन परासरण सबके भरोसेमंद वकील बने रहे.

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