विवादों में घिरने के बाद जस्टिस एके सीकरी ने अब मोदी सरकार के उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है, जिसमें उन्हें लंदन स्थित सीएसएटी में अध्यक्ष/सदस्य के तौर पर नामित किया जाना था. जस्टिस एके सीकरी को उच्चस्तरीय चयन समिति में शामिल होने के बाद यह पेशकश मिली थी. जस्टिस सीकरी सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई के बाद दूसरे सबसे वरिष्ठ जज हैं और वह 6 मार्च को रिटायर होने के बाद सीएसएटी को ज्वाइन करने वाले थे.
जस्टिस एके सीकरी ने उस सरकारी प्रस्ताव के लिए दी गई अपनी सहमति रविवार को वापस ले ली जिसके तहत उन्हें लंदन स्थित राष्ट्रमंडल सचिवालय मध्यस्थता न्यायाधिकरण (सीएसएटी) में अध्यक्ष/सदस्य के तौर पर नामित किया जाना था. हालिया एक फैसले के कारण विवादों में आए जस्टिस एके सीकरी ने सुप्रीम कोर्ट में कई बड़े फैसले लिए जिसमें पिछले साल उन्होंने कर्नाटक में सरकार के गठन को लेकर राज्यपाल के विवादित फैसले पर आधी रात को सुनवाई करना भी शामिल है. जस्टिस एके सीकरी को पिछले साल दिसंबर के पहले हफ्ते में सीएसएटी में अध्यक्ष/सदस्य के तौर पर नामित किया गया, जिसके लिए आवेदन की अंतिम तारीख 11 दिसंबर थी. नामांकन के बाद किसी एशियाई को सीएसएटी का अध्यक्ष चुना जाना था.
पत्र में क्या लिखा
इंडिया टुडे के पास जस्टिस एके सीकरी के लिखे पत्र के कुछ अंश मौजूद हैं, उन्होंने अपना फैसला बदलते हुए पत्र में लिखा, 'मैं पहले हुए नामांकन और हाल के दिनों में घटे घटनाक्रम को एक साथ जोड़े जाने से आहत हूं. दोनों में किसी तरह का आपसी संबंध नहीं है. मैं आगे किसी तरह का कोई विवाद नहीं चाहता, इसलिए अपनी सहमति वापस ले रहा हूं.'
राहुल गांधी ने साधा निशाना
इसी मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा. उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि न्याय के साथ छेड़छाड़ किया जाता है तो अराजकता राज करती है. यह प्रधानमंत्री नहीं रूकेंगे. राफेल घोटाले को छुपाने के लिए वह हर चीज को नष्ट कर डालेंगे. भ्रष्टाचार के कारण वह डरे हुए हैं और मुख्य संस्थाओं को नष्ट कर रहे हैं.
When the scales of justice are tampered with, anarchy reigns.
This PM will stop at nothing, stoop to anything & destroy everything, to cover up the #RafaleScam. He’s driven by fear. It’s this fear that is making him corrupt & destroy key institutions.https://t.co/IfYHf2EMGd
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 13, 2019
प्रधान न्यायाधीश के बाद देश के दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश के एक करीबी सूत्र ने समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा को बताया कि जस्टिस सीकरी ने रविवार शाम को लिखकर अपनी सहमति वापस ले ली. सूत्रों ने कहा, 'सरकार ने इस जिम्मेदारी के लिए पिछले महीने उनसे संपर्क किया था. उन्होंने अपनी सहमति दी थी. इस पद पर रहते हुए प्रति वर्ष दो से तीन सुनवाई के लिए वहां जाना होता और यह बिना मेहनताना वाला पद था. प्रतिष्ठित सीएसएटी में सदस्यों को 4 साल के लिए नियुक्त किया जाता है, जिसे एक बार बढ़ाया जा सकता है.
जस्टिस एके सीकरी ने 8 जनवरी को सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को पद से हटाने को लेकर उनके खिलाफ वोट किया था. मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके सीकरी की उच्चअधिकार प्राप्त चयन समिति ने 2-1 के बहुमत से आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक के पद से हटाए जाने का फैसला लिया था.
प्रधानमंत्री मोदी और जस्टिस एके सीकरी ने आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक के पद से हटाए जाने के पक्ष में फैसला लिया जबकि खड़गे ने इसका विरोध किया था. जस्टिस एके सीकरी का यह वोट आलोक वर्मा को हटाए जाने को लेकर निर्णायक साबित हुआ.