पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा के हमले से बौखलाई केंद्र की मोदी सरकार ने अपने नागरिक उड्डयन मंत्री जयंत सिन्हा को लेख लिखकर अपने पिता को जवाब देने लिए लगाया. जयंत सिन्हा ने एक अंग्रेजी अखबार में लेख लिखकर अपने पिता को जवाब दिया है. आर्थिक नीतियों के मोर्च पर सरकार की आलोचना पर यशवंत सिन्हा की तारीफ करने वाली कांग्रेस ने एक बार जयंत सिन्हा पर हमला बोला है.
यशवंत सिन्हा के बाद स्वदेशी जागरण मंच ने केंद्र की नीतियों पर बोला हमला
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने गुरुवार की सुबह ट्वीट कर जयंत सिन्हा के लेख को प्रेस रिलीज करार दिया.
Jayant Sinha's article in ToI reads like a PIB press release. He should know that administrative changes are not structural reforms.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) September 28, 2017
उन्होंने कहा कि जयंत सिन्हा को यह पता होना चाहिए कि प्रशासनिक बदलाव, संगठनात्मक सुधार नहीं होते. अगर जयंत सिन्हा सही हैं, तो पिछली पांच तिमाही के दौरान जीडीपी में लगातार गिरावट क्यों आई है. अगर जयंत सिन्हा सही हैं, तो निजी निवेश में बढ़ोत्तरी क्यों नहीं हुई है. अगर जयंत सिन्हा सही हैं तो इंडस्ट्री की क्रेडिट ग्रोथ निगेटिव क्यों है?
If Jayant Sinha is right, why is the outcome a steady decline in GDP growth over 5 quarters?
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) September 28, 2017
If Jayant Sinha is right, why is there no increase in private investment?
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) September 28, 2017
If Jayant Sinha is right, why is credit growth to industry negative?
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) September 28, 2017
चिदंबरम ने कहा कि अगर जयंत सिन्हा सही हैं, तो इलेक्ट्रिसिटी डिमांड और प्लांट लोड फैक्टर में 50-60 का अनुपात क्यों है?
If Jayant Sinha is right, why is there poor demand for electricity and plant load factor at 50-60 per cent?
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) September 28, 2017
इससे पहले पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री ने सोमवार को कहा कि बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी का नोटबंदी को समर्थन जनमत की अतिशय अवमानना है. एक ट्वीट में उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू किए जाने का भी समर्थन किया है. उन्हें समर्थन करने से पहले अपनी ही पार्टी के व्यापारियों और व्यवसायियों से बात कर लेनी चाहिए थी.