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पाक लड़की से प्यार करने की मिली इंडियन को सजा, 11 साल जेल में काटे

यह कहानी है उन चेहरों की है, जिनकी उम्र यह कहते-कहते बीत गई कि साहेब, मैं निर्दोष हूं. फिर भी सालों जेल की सलाखों में कैद रहने को मजबूर किए गए.

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'बेगुनाह' जावेद की कहानी
'बेगुनाह' जावेद की कहानी

यह कहानी है उन चेहरों की है, जिनकी उम्र यह कहते-कहते बीत गई कि ‘साहेब, मैं निर्दोष हूं’ फिर भी सालों जेल की सलाखों में कैद रहने को मजबूर किए गए. इनमें से अधिकतर लोगों पर राजद्रोह, देशद्रोह और दंगा फैलाने जैसे आरोप लगाए गए. जिन दर्दनाक कहानियों को हम आपके पास लेकर आए हैं उन सभी में इन कैदियों के जुर्म साबित नहीं हो सके और सालों बाद उन्हें रिहा किया गया. ये कहानी है उन भारतीयों की जिन्होंने बिना कोई गुनाह किए काटी जेल में सजा.

पाकिस्तानी लड़की से प्यार करने की मिली सजा...
रामपुर के जावेद अहमद ने अपनी जिंदगी के 11 साल से ज्यादा का समय जेल में काटा. लेकिन उन्होंने ऐसा कोई गुनाह नहीं किया जिसके लिए उन्हें इस तरह की सजा दी जाए. जावेद का कसूर सिर्फ इतना था कि उन्होंने एक पाकिस्तानी लड़की से प्यार किया. जावेद किशोरावस्था में जेल गए थे और अब उनकी उम्र 35 साल हो चुकी है. पेशे से जावेद टीवी मैकेनिक हैं.

जावेद ने अपने दर्द को कुछ इस तरह बयां किया- 'छोटे-छोटे घरों की जगह अब इमारतें हैं. अस्थाई दुकानों की जगह अब प्रॉपर मार्केट ले चुके हैं. जो लोग साइकिल चलाते थे आज उनके पास मोटरसाइकिल है और जो उस समय मोटरसाइकिल पर घूमते थे वो चार पहिया ले चुके हैं. मुझे लगता है कि मैं बहुत पीछे रह गया.'

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जावेद आज भी उस सदमे से उबर नहीं पाए हैं, जेल से छूटने के बाद से टीवी मैकेनिक के रूप में काम करने वाले जावेद ने कहा कि आज भी उनका अतीत उन्हें चैन से जीने नहीं देता है. उन्हें लगता है कि भारत और पाकिस्तान के बीच लवस्टोरी का वो सही समय नहीं था.

जावेद के मुताबिक, 'आज मुझे इस बात का एहसास होता है कि जब 2002 में मुझे पुलिस ने पकड़ा था तब भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते काफी खराब थे. करगिल युद्ध कुछ समय पहले ही खत्म हुआ था. आज मुझे लगता है कि मुझे उस समय उस लड़की को फोन नहीं करना चाहिए था. मुझे शक के आधार पर पकड़ा गया था. उस समय बहुत कम लोग पाकिस्तान फोन किया करते थे.'

कैसे शुरू हुई थी 'प्रेम-कहानी'...
1999 में एक ओर उस समय के प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी दोनों देशों के बीच शांति कायम करने की कोशिश कर रहे थे वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान भारत की पीठ में छुरा घोंपने के लिए तैयार था. प्रधानमंत्री और देश के तमाम लोगों की तरह जावेद व उसके परिवार को भी नहीं अंदाजा था कि करगिल में क्या होने वाला है. दोनों देशों के बीच सुधरते रिश्तों को देखते हुए जावेद और उसके परिवार ने अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए पाकिस्तान जाने का प्लान बनाया. इसी दौरान जावेद ने पाकिस्तान में अपने रिश्तेदार के घर पहला फोन कॉल किया था. और मोबीना ने फोन रिसीव किया.

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जावेद ने उस समय को याद करते हुए कहा- 'जब मैंने उससे बात की तो मुझे लगा वो मेरे सामने है और मैं उसके साथ मिलकर बात कर रहा हूं. उसके बाद मैं पाकिस्तान जाना चाहता था. उस फोन कॉल के करीब एक-डेढ़ महीने बाद मैं पाकिस्तान गया भी था. वहीं मैं उससे पहली बार मिला था. मैंने जो सोचा तो वो उससे भी बहुत ज्यादा खूबसूरत थी.'

नहीं राजी हुए उसके घरवाले...
ढाई महीने जावेद कराची में रहा और वहीं उन दोनों के बीच प्यार की शुरुआत हुई. उसी दौरान दोनों देशों के बीच करगिल पर तनाव बढ़ा. जावेद कराची से रामपुर लौट रहा था तो उन्होंने मोबीना से वादा किया था कि वो उसे फोन करता रहेगा. जावेद रामपुर तो वापस आ गए लेकिन मोबीना के साथ उनका रिश्ता और मजबूत हो गया. दोनों फोन पर बातें करते थे और खत भी लिखा करते थे. 2001 में जावेद दूसरी बार कराची गया और इस बार वो मोबीना से शादी करके उसे रामपुर लाना चाहता था लेकिन मोबीना का परिवार इस पर राजी नहीं हुआ.

सितंबर 2002 में हमेशा के लिए बदल गई जावेद की जिंदगी
जावेद ने बताया- 'वो अपनी बेटी को भारत नहीं जाने देना चाहते थे. मैं अपने परिवार को रामपुर में नहीं छोड़ कर रह सकता था लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी.' सितंबर 2002 तक दोनों के बीच लगातार फोन पर बात होती रही लेकिन इसी महीने की एक तारीख ऐसी आई जिसने जावेद की जिंदगी हमेशा के लिए बदल डाली.

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जावेद बताते हैं- 'एक टाटा सूमो आई और मुझे उसमें डालकर ले जाया गया. ये सबकुछ बहुत जल्दी में हुआ. मुझे कुछ पता नहीं था कि मेरे साथ क्या हो रहा है. जब मैं इस झटके से उबरा तो मैंने देखा कि मेरे साथ कार में वो लोग भी हैं जो मेरी दुकान पर क्लाइंट के तौर पर आए थे. वो सादे कपड़े में थे लेकिन उनके पास हथियार थे. जब तक उन्होंने मेरा चेहरा नहीं ढका नहीं था मैंने पाया कि मैं गाजियाबाद में हूं उसके बाद उन्होंने मेरा चेहरा कवर कर दिया.'

प्यार का ये अंजाम तो जावेद ने कभी सोचा भी नहीं होगा. यहीं से जावेद की जिंदगी का काला पन्ना शुरू हो गया. जावेद ने बताया- '3 दिनों तक लगातार वो मुझे टॉर्चर करते रहे. ऐसा लग रहा था कि वो लोग मुझे जान से मारना चाहते थे. उसके बाद उन्होंने डायरी पर कुछ लिखा और मेरे अंगूठे का निशान ले लिया.'

जावेद के खिलाफ IPC की धाराएं 121, 121 A और 123 लगाई गईं. जावेद के वकील जलाललुद्दीन खान के मुताबिक, 'सबूत के तौर पर उनके पास जावेद के लिखे हुए खत थे जो पाकिस्तान भेजे गए थे. इसके अलावा फोटो, हाथ से बना हुआ नक्शा था. उन्होंने दावा किया था कि जावेद आर्मी मूवमेंट के बारे में फैक्स मेसेज के जरिए पाकिस्तान को सूचना देता था. वो कक्षा चार तक पढ़ा हुआ था और इस मामले में कुछ नहीं कर सकता था.'

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एक पिता का दर्द...
जावेद का परिवार भी सदमे में आ चुका था. जावेद के पिता मोहम्मद शफीक ने बताया- 'जब उसको पहली बार ले गए थे वो लोग तो हम 5 दिनों तक रोते रहे. रामपुर में ऐसा कोई नहीं था जो मुझे नहीं जानता था. मुझे शर्म आ रही थी कि मेरे बेटे पर इतने गंभीर आरोप लगे थे.' जावेद के दो दोस्तों को भी रामपुर से पकड़ा गया था. जावेद की गिरफ्तारी के डेढ़ महीने बाद उसके खिलाफ पोटा लगा दिया गया. इसके बाद जावेद इस दलदल में धंसता चला गया.

जावेद ने बताया- 'मैं अपने खत के अंत में 'J' लिखता था और वो 'M' लिखती थी. पुलिस को ऐसा लगा कि हम कोडवर्ड में खूफिया जानकारी शेयर कर रहे थे.' जावेद के पिता कहते हैं- 'प्यार करना जुर्म नहीं है लेकिन मेरे बेटे के लिए ये जुर्म हो गया क्योंकि उसने एक पाकिस्तानी लड़की से प्यार किया था.'

साढ़े ग्यारह साल में बहुत पीछे छूट गया जावेद...
11.5 साल जेल में बिताने के बाद उसे सबूतों की कमी के चलते छोड़ दिया गया. लेकिन जावेद जब वापस रामपुर लौटे तो सबकुछ बदल चुका था. इसी साल जनवरी में जेल से रिहा हुए जावेद कहते हैं- 'मुझे अभी भी प्यार पर पूरा भरोसा है. उसके बारे में सोचना मेरे लिए बहुत जरूरी है. लेकिन मेरी आत्मा मर चुकी है. मैं पाकिस्तान नहीं जाना चाहता. और न ही उसको फोन करने के बारे में सोच सकता हूं.' आज भले ही जावेद जेल के बाहर आ चुके हैं लेकिन उनकी जिंदगी अब पहले जैसे नहीं रह गई है.

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