त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में बीजेपी की दो तिहाई बहुमत से सरकार बन रही है. बता दें कि त्रिपुरा को लेफ्ट से छीनने के लिए बीजेपी ने पूरा जोर लगाया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ जैसे दिग्गज नेताओं ने यहां रैलियां की.
दरअसल, बीजेपी के लिए उत्तर-पूर्व के इस छोटे राज्य को जीतना उस वादे को पूरा करने की कोशिश है जो भाजपा प्रमुख ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को पिछले वर्ष विजयादशमी के दिन किया था.
आरएसएस से मिली जानकारी के मुताबिक, पिछले साल विजयादशमी के दिन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने संघ के वरिष्ठ नेताओं से कहा था कि विजयादशमी पर दिया जाने वाला गुरू-दक्षिणा अगले साल (2018) मैं समर्पित करूंगा. उनका इशारा त्रिपुरा में भाजपा को जीत दिलाने की तरफ था.
अभी तक जिन-जिन राज्यों में लेफ्ट पार्टी की सरकार रही है. वहां किसी चुनाव में भाजपा सीधे रूप से वामपंथी दलों से जीत नहीं सकी, लेकिन इस चुनाव में बीजेपी ने पुराने रिकॉर्ड तोड़ते हुए एकतरफा जीत हासिल की है. बता दें कि केरल में भी भाजपा ने जीत हासिल करने की बहुत कोशिश की, लेकिन सिर्फ एक सीट जीत सकी थी.
गौरतलब है कि अमित शाह ने पार्टी महासचिवों की बैठक में दो टूक कहा था कि भले त्रिपुरा छोटा राज्य है लेकिन भाजपा के लिए बहुत महत्वपूर्ण इसलिए है कि यह जीत न सिर्फ चुनावी जीत होगी, बल्कि यह वैचारिक जीत भी साबित होगी.
20 साल से लेफ्ट फ्रंट की सरकार
बता दें कि 1998 से त्रिपुरा में माणिक सरकार मुख्यमंत्री हैं. इस बार भी त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में वो पांचवें कार्यकाल की उम्मीद में लेफ्ट फ्रंट की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा थे, लेकिन बीजेपी ने उनके इरादों पर पानी फेर दिया. गौरतलब है कि त्रिपुरा में माणिक सरकार के सीएम बनने से पहले से ही 1993 से लेफ्ट फ्रंट की सरकार लगातार बनती आ रही है.