scorecardresearch
 

इस्लाम के खिलाफ है बीमा कराना: दारूल उलूम

बैंकों में काम करने को गैर इस्लामी करार देने के बाद दारूल उलूम देवबंद ने अपने नए फतवे में बीमा कराने को भी इस्लाम के खिलाफ बताया है.

Advertisement
X

बैंकों में काम करने को गैर इस्लामी करार देने के बाद दारूल उलूम देवबंद ने अपने नए फतवे में बीमा कराने को भी इस्लाम के खिलाफ बताया है.

देश के सबसे बड़े इस्लामी शिक्षण संस्थान ने अपने फतवे में कहा, ‘बीमा पॉलिसी ब्याज और जुए पर आधारित होने के कारण नाजायज है.’ दारूल उलूम के फतवा विभाग दारूल इफ्ता द्वारा जारी किया गया यह फतवा उस सवाल के जवाब में दिया गया है जिसमें पूछा गया था कि क्या शरीया के मुताबिक बीमा कराना जायज है.

भारत में लाखों मुस्लिम बीमा कराते हैं जो एक अनुबंध होता है जिसमें पॉलिसीधारक को किसी तरह की शारीरिक क्षति या मृत्यु होने पर नॉमिनी या संबंधित व्यक्ति को एक निश्चित राशि देने का करार किया जाता है. दिल्ली के मौलाना अफरोज मुजतबा ने कहा, ‘जिन धर्मगुरुओं ने यह फतवा जारी किया है उन्हें यह बात स्पष्ट करनी चाहिए कि उन्होंने इसे किन संदर्भों में जारी किया है.’

इस बीच, शीर्ष इस्लामी संस्था जमायत उलेमा ए हिंद के प्रवक्ता अब्दुल हमीद नोमानी ने कहा कि हर फतवे से जुड़े सवाल के कई पहलू होते हैं और उससे जुड़ी व्यवस्थाओं को ध्यान में रखकर ही सम्बद्ध सन्दर्भ में फतवा जारी किया जाता है.

Advertisement

उन्होंने कहा कि हर फतवे का अलग सन्दर्भ होता है और एक फतवे को किसी सामान्य स्थिति से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिये. उन्हें उनके संदर्भों में देखा जाना चाहिए. नोमानी ने कहा, ‘लोगों को फतवे के निहितार्थ को गहराई से समझना चाहिए और फतवों का सामान्यीकरण नहीं करना चाहिए.’

Advertisement
Advertisement