वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी ने आज उम्मीद जताई कि नयी फसल आने पर महंगाई शांत होगी पर उन्होंने यह भी कहा कि उनके पास कोई अलाद्दीन का चिराग नहीं है जिससे वे मुद्रास्फीति को तुरंत काबू कर सकें.
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के प्रमुखों की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, यह (मुद्रास्फीति) निसंदेह चिंता का कारण है. लेकिन हमारे पास कोई अलाद्दीन का चिराग नहीं है जिससे इसे मनमर्जी मुताबिक घटाया बढाया जा सके. मुझे उम्मीद है कि खरीफ सीजन में अच्छी फसल से इसमें स्थिरता आएगी. उन्होंने कहा कि नयी फसल से कीमतों में नरमी आने वाला असर होगा.
वित्तमंत्री ने कहा कि मुद्रास्फीति की दर दिसंबर 2009 में 20 प्रतिशत से अधिक थी जो घटकर 12 प्रतिशत के आसपास आ गई है लेकिन ईंधन तथा कुछ अन्रू उत्पाद मुद्रास्फीति दबाव का कारण बने हुए हैं.
मुखर्जी ने हालांकि रिजर्व बैंक द्वारा मौद्रिक नीति की तिमाही समीक्षा में उठाए जाने वाले संभावित कदमों के बारे में पूछे जाने पर टिप्पणी नहीं की.
लेकिन उनके साथ उपस्थिति रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर के सी चक्रवर्ती ने केंद्रीय बैंक द्वारा उठाये जाने वाले संभावित कदमों के बारे में एक सवाल पर कहा, े जो हम जो भी कदम उठाते हैं, उसमें हमें उम्मीद रहती है कि उनका असर जरूर होगा. े उनसे पूछा गया था कि क्या रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति पर नियंत्रण लगाने की कार्रवाई कर सकता है. उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक त्रैमासिक मौद्रिक समीक्षा मंगलवार को करेगा. कयास लगाया जा रहा है कि केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के लिए अपनी अल्पकालिक नीतिगत ब्याज दरें और बढा सकता है. मुद्रास्फीति की सामान्य दर पिछले पांच महीनों में लगातार दस प्रतिशत से उपर चल रही है. सरकार ने पिछले माह पेट्रोलियम पदार्थों के मूल्य भी बढाए हैं जिसका कीमतों पर असर पड़ा है.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कल राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठक में उम्मीद जताई थी कि दिसंबर तक महंगाई दर घटकर छह प्रतिशत तक आ जाएगी. प्रधानमंत्री को उम्मीद है कि मानसून अच्छा रहेगा और फसल अच्छी होगी.