इंडियन मुजाहिद्दीन (आईएम) का सह संस्थापक यासीन भटकल विस्फोट के कई मामलों में वांछित है और एनआईए और राज्य पुलिस बल उससे पूछताछ कर रहे हैं. भटकल को भारत-नेपाल की सीमा से गिरफ्तार किया गया है.
उसका नाम दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर सात सितंबर 2011 को हुए विस्फोट में भी आया है जिसमें 12 लोग मारे गए थे. 30 वर्षीय भटकल 2010 के पुणे के जर्मन बेकरी विस्फोट मामले में भी वांछित है जिसमें पांच विदेशियों सहित 17 लोग मारे गए थे और 56 अन्य जख्मी हुए थे.
वह पिछले साल एक अगस्त को पुणे के जंगली महाराज रोड विस्फोट मामले का भी मुख्य षड्यंत्रकर्ता है. विस्फोट में एक व्यक्ति जख्मी हो गया था. भटकल बेंगलूर के चिन्नास्वामी स्टेडियम में 2010 में हुए विस्फोट और 2006 के मुंबई ट्रेन विस्फोट में भी शामिल रहा.
कर्नाटक के भटकल का रहने वाला आईएम का सह-संस्थापक दिल्ली सीरियल ब्लास्ट (2008), अहमदाबाद विस्फोट (2008) और सूरत विस्फोट (2008) में भी शामिल रहा. वह जयपुर विस्फोट (2008), वाराणसी के दशाश्वमेध घाट विस्फोट (2010) और मुंबई में हुए विस्फोट (2011) में भी शामिल था.
भटकल इस साल हैदराबाद के दिलसुखनगर में हुए दोहरे बम विस्फोट मामले में भी संदिग्ध है. उस पर मामला दर्ज करने वाली एनआईए ने उसकी गिरफ्तारी के लिए 10 लाख रूपये के ईनाम की घोषणा की थी. उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किया गया था.
यासीन भटकल को नेपाल में पकड़े जाने से पहले छह महीने तक केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां उसका पीछा कर रही थीं. सरकारी सूत्रों ने बताया कि सुरक्षा एजेंसियों को छह महीने पहले यासीन की आवाजाही के बारे में सूचना मिली थी, तब से वे लगातार उसका पीछा कर रही थीं.
यासीन को बुधवार को नेपाल में उसके एक सहयोगी के साथ पकड़ा गया. उसके बाद उसे भारत नेपाल सीमा पर लाया गया जहां उसे बिहार पुलिस के हवाले कर दिया गया.
आईएम सह संस्थापक को सुरक्षा एजेंसियों ने नेपाल में स्थानीय प्रशासन की मदद से पकड़ा. सूत्रों के अनुसार यासीन अपने आतंकवादी क्रियाकलापों और अपने कुछ संपर्क सूत्रों से मिलने के लिए बांग्लादेश जाने की योजना बना रहा था.
लश्कर-ए-तैयबा के बम विशेषज्ञ अब्दुल करीम टुंडा की 16 अगस्त को गिरफ्तारी के बाद सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह दूसरी बड़ी उपलब्धि है.