मुंबई एयरपोर्ट पर हवाई जहाज के आगे राष्ट्रपति के काफिले का एक हेलिकॉप्टर आने की घटना पर डीजीसीए ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. डीजीसीए ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इंडियन एयरफोर्स का हेलिकॉप्टर बिना इजाजत लिए एयरपोर्ट पर आ गया. उन्हें यह समझना चाहिए था कि मुंबई एयरपोर्ट एशिया महाद्वीप के व्यस्ततम एयरपोर्ट में से एक है.
डीजीसीए ने कहा है कि काफिले के तीनों हेलिकॉप्टरों के बीच आपस में कोई समन्वय नहीं था. नतीजा यह हुआ कि पहला हेलिकॉप्टर तय समय से पहले ही उतर गया. डीजीसीए ने अपनी रिपोर्ट में काफिले के पहले हेलिकॉप्टर को दोषी माना है क्योंकि इसका बाकी काफिले के साथ कोऑर्डिनेशन नहीं था.
डीजीसीए की रिपोर्ट ने सबसे बड़ी गलती बताई है कि हेलिकॉप्टर दी गई फ्रीक्वेंसी में नहीं था. इस वजह से हेलिकॉप्टर के साथ कम्यूनिकेट नहीं किया जा सकता था और इसी वजह से हेलिकॉप्टर समय से पहले ही लैंड कर गया.
कंट्रोल रूम ने रनवे को खाली देखा था इसलिए उसने इंडियन एयरलाइंस को टेकऑफ करने की इजाजत दे दी. टेकऑफ करने से पहले किसी भी जहाज की स्पीड दो तरह की होती है. अगर वो दूसरे दौर की स्पीड में जा चुका है तो जहाज को रोकना नामुमकिन होता है. हेलिकॉप्टर को देखते ही कंट्रोल रूम को अचानक ये पता नहीं चल पाया कि राष्ट्रपति काफिले का है. बाद में कुछ संभल कर उसने पायलट को रुकने का आदेश दिया.
पायलट ने रनवे पर कुछ नहीं देखा और उसने भी यही समझा कि ये आदेश पीछे वाले एयरक्राफ्ट के लिए है. रिपोर्ट में आखिरी सवाल यही उठाया गया है कि अगर विमान की रफ्तार दूसरे दौर में पहुंच जाती तो फिर से रोकना असंभव था.
डीजीसीए ने यह भी सिफारिश की है कि सभी बड़े शहरों में हेलिकॉप्टर के लिए अलग कॉरिडोर होना चाहिए. विमान मंत्रालय ने इस सिफारिश को मंजूरी दे दी है.