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Exclusive: दिव्या स्पंदना बोलीं- 'जब तक राहुल को मुझ पर भरोसा, और कुछ मायने नहीं रखता'

कांग्रेस के सोशल मीडिया विभाग की प्रमुख दिव्या स्पंदना को लेकर सोशल मीडिया पर ही पिछले कुछ दिनों से कई तरह की अटकलें जारी हैं. दिव्या ने इन अटकलों पर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बेबाकी से अपना पक्ष रखा है.    

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दिव्या स्पंदना (फाइल फोटो)
दिव्या स्पंदना (फाइल फोटो)

कांग्रेस के सोशल मीडिया विभाग की प्रमुख दिव्या स्पंदना उर्फ़ राम्या को लेकर सोशल मीडिया पर ही पिछले कुछ दिनों से कई तरह की अटकलें जारी हैं. जैसे कि पार्टी में दिव्या का कद घटना, उनका परेशान होना, इस्तीफा देना आदि आदि. इंडिया टुडे ने स्थिति को साफ करने के लिए सीधे दिव्या से ही संपर्क किया. दिव्या ने एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बेबाकी से अपना पक्ष रखा.    

दिव्या ने उन्हें लेकर हालिया रिपोर्टों को ‘गॉसिप’ बताया. दिव्या के मुताबिक ये सब उनसे द्वेष रखने वालों की हरकत है. दिव्या ने जोर देकर कहा कि वे अपना मिशन 2019 पूरा किए बिना कहीं नहीं जाने वालीं.

दिव्या ने कहा, 'जिस तरह की स्टोरीज़ की आप बात कर रही हैं, वो पूरी तरह से गप्पबाजी है और इससे यह भी पता चलता है कि लोग वास्तव में मेरे बारे में कितनी रुचि रखते हैं. मैं इन्हें कोई भाव या वक्त देने लायक नहीं समझती. मैं अपनी प्रतिबद्धताओं को लेकर तब तक काम करती रहूंगी, 2019 में जब तक वो पूरी नहीं हो जातीं.’

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दिव्या ने अपने इस्तीफे की खबरों को पूरी तरह से बेबुनियाद बताया. साथ ही उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि कभी-कभी वह अपने भविष्य को लेकर अनिश्चित रहती हैं. उन्होंने कहा, ' मेरी चिंता खुद को लेकर ये रहती है कि मैं चुनौतियों का मुकाबला करने में कामयाब हो पाऊंगी या नहीं. ये चुनौती से भरा है. कई बार मैं खुद को असमर्थ या अपर्याप्त समझती हूं. इससे मुझे निपटना है और पार पाना है.’

बता दें कि दिव्या को कांग्रेस की सोशल मीडिया की रणनीति में क्रांतिकारी बदलाव लाने का श्रेय दिया जाता है. सोशल मीडिया पर उनके फ्रंट फुट पर आक्रामकता दिखाने से बीजेपी का सिरदर्द बढ़ा. सोशल मीडिया पर कांग्रेस से बीजेपी को इस तरह की चुनौती का पहले कभी सामना नहीं करना पड़ा था. अपनी छवि से हट कर दिव्या ने कहा कि उन्हें ये सब करने के लिए हौसला राहुल गांधी से मिला.  

दिव्या ने कहा, 'मैं दबाव पड़ने पर आसानी से काम छोड़ सकती थी. मेरे लिए बाहर जाना आसान था और मुझे इस बात की कोई परवाह नहीं कि लोग अगर मुझे कायर समझते या सोचते कि मेरे में हिम्मत की कमी है. सच तो ये है कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि ये सब मैं कर सकती हूं. अकेले शख्स जिन्होंने मेरे पर भरोसा किया और मुझे मौका दिया वो हैं राहुल गांधी.

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दिव्या के साथ इंटरव्यू के खास अंश जिनसे उनकी पेशेवर प्रतिबद्धता की झलक मिलती है. साथ ही उनकी इस योग्यता का भी पता चलता है कि अफवाहों से विचलित हुए बिना किस तरह अपने काम पर ही फोकस रहा जा सकता है.  

सवाल- सोशल मीडिया पर आपके पर कतर दिए जाने की चर्चा है?  कहा जा जा रहा है कि राहुल गांधी के ट्विटर हैंडल, फेसबुक और इंस्टाग्राम पेज तक अब आपकी पहुंच नहीं रही है?

दिव्या- कुछ नहीं बदला है. सोशल मीडिया विभाग ही पार्टी के सारे डिजिटल एसेट्स को देख रहा है. इन अकाउंट्स को देखने वाले सभी लोग कांग्रेस अध्यक्ष और पार्टी के लिए ही काम कर रहे हैं. कोई भेद नहीं है.

सवाल- क्या आप खुलासा कर सकती हैं...क्या ऐसा नहीं कि राहुल गांधी के सोशल मीडिया अकाउंट्स अब आपकी टीम नहीं देख रही है और उनके लिए निखिल अल्वा को दोबारा अधिकृत किया गया है?

दिव्या-  मैं अपने को पार्टी से अलग करके नहीं देखती...औरों की तरह ही मैं भी हूं जो पार्टी के अध्यक्ष के लिए काम करते हैं.

सवाल- ऐसी अटकलें हैं कि आपकी कुछ वरिष्ठ नेताओं के साथ पटरी नहीं बैठी? आनंद शर्मा जैसे वरिष्ठ नेता और अन्य को आप से निर्देश लेने में उलझन थी?

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दिव्या- इस बात में ज़रा भी सच्चाई नहीं है...जो थोड़ा बहुत मेरा श्री शर्मा से संवाद हुआ है वो बहुत सौहार्दपूर्ण और प्रोफेशनल रहा है. आखिरी बार हम पब्लिसिटी कमेटी की बैठक के वक्त मिले थे. हमने 2014 के प्रचार अभियान को लेकर हल्की-फुल्की बातचीत की थी और उसे लेकर हंसे भी थे. इससे अलग हट कर कोई संकेत देना बेतुका है.

सवाल- आपका ट्विटर बायोडेटा बुधवार को कुछ देर के लिए गायब हुआ था...इससे अटकलों को हवा मिली?  क्या ये सच में बग इश्यू था या कोई और बात थी?

दिव्या- मैं सच में नहीं जानती कि इस पर क्या कहूं. मैं इस पर मुस्कुरा ही सकती हूं. निश्चित तौर पर हम ट्विटर बायो से बहुत कुछ अधिक हैं.

सवाल- क्या आप समझती हैं कि पीएम मोदी के टाइटैनिक पोज जैसे ट्वीट या हैम्बर्ग में राहुल के अलग दिशाओं में देखते हुए प्रोफाइल तस्वीरों का उल्टा असर हुआ? नतीजा ये हुआ कि पार्टी नेतृत्व को आप से परेशानी हुई?

दिव्या- नहीं, बिल्कुल नहीं...मैं सोशल मीडिया एक्सपर्ट नहीं हूं. ना मैं पहले थी और अब भी नहीं हूं. अगर कोई मेरे समर्थन में हमेशा खड़ा रहा हैं और जिसने हमेशा संयम दिखाया है तो वो हैं कांग्रेस अध्यक्ष. जब तक उन्हें मुझ पर भरोसा है तब तक और कुछ मायने नहीं रखता.

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सवाल- जहां तक पीएम मोदी पर हालिया ट्वीट जिस पर FIR तक हुई या फिर RSS को मुस्लिम ब्रदरहुड के साथ रखने वाले ट्वीट्स का सवाल है तो क्या आप को नहीं लगता कि आपने हद पार की?

दिव्या- सोशल मीडिया एकजुट आवाज है जिसमें कई आवाजें योगदान देती हैं. ये सिर्फ अकेले व्यक्ति का मामला नहीं है. आवाज हमेशा पार्टी के रुख से मेल खाती है. सभी नेता, फ्रंटल संगठन, हम तालमेल के साथ मुद्दों और एजेंडे को लेते हैं. कई बार कुछ वॉलन्टियर्स आइडिया देते हैं, हम उन्हें भी लेते हैं.  

सवाल- क्या आप इससे नाखुश हैं कि सोशल मीडिया विभाग को रिसर्च एंड मीडिया विभाग के साथ समन्वय बैठा कर सांगठनिक ढांचे के तहत लाने का कदम उठाया जा रहा है? क्या जयराम रमेश जैसे कुछ नेता आपके काम में लगातार दखल दे रहे हैं? क्या ये सच है?

दिव्या- बिल्कुल झूठ. जिस दिन से सोशल मीडिया प्रभारी के तौर पर मैंने काम संभाला है मुझसे ये पूछा जा रहा है. जयराम रमेश लोकसभा कैम्पेन कमेटी के प्रमुख हैं. मैं बहुत खुश हूं कि वे समन्वय कर रहे हैं. मैं नहीं बता सकती कि ये कितना लाभदायक रहा है. वो बहुत मददगार रहे हैं. इस पर बात करना भी शर्मसार करने वाला है. इसलिए कि कुछ लोग हर चीज में बहुत कुछ पढ़ने की कोशिश कर रहे हैं...मैं साफ करना चाहती हूं कि जब आप साथ काम करते हैं तो ये सब रूटीन और सामान्य होता है.  

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सवाल- राज्यों को लेकर सुझावों के लिए बने पार्टी के वॉट्सऐप ग्रुप को ज्योतिरादित्य सिंधिया और आरपीएन सिंह जैसे कई कांग्रेस नेताओं ने छोड़ दिया...

दिव्या- मैं इस बारे में नहीं जानती.

सवाल- ऐसे भी आरोप हैं कि आप अधिकतर दिल्ली में मौजूद नहीं रहतीं और पार्टी नेताओं का आपसे संपर्क नहीं हो पाता.

दिव्या- मैं दिल्ली में रहती हूं. मैं दिल्ली से कैसे गैरमौजूद रह सकती हूं.

सवाल- क्या आप समझती हैं कि आपको बाहरी (आउटसाइडर) होने का, दिल्ली सर्किल का हिस्सा नहीं होने का नुकसान भुगतना पड़ रहा है.

दिव्या- नहीं.

सवाल- आपका ट्विटर बायो कहता है कि आप जो भी काम करती है, उससे प्यार करती है...अपने काम की जो कठोर प्रवृत्ति है क्या फिर भी आप इसे करते हुए खुश हैं.

दिव्या- मैं काम करती हूं लेकिन मेरी खुशी काम पर निर्भर नहीं है. जीवन में और भी बहुत कुछ है. मैं यहां एक प्रतिबद्धता के लिए हूं जो मैंने कर रखी है. ये कोई श्रेय लेने के लिए नहीं है.

सवाल- क्या आप समझती हैं कि आपकी टीम को जो काम, जो लक्ष्य दिया गया, उस पर वो अब तक खरा उतर सकी?

दिव्या- हमसे जो संभव हो सकता था वो हमने किया. हमे और भी बहुत कुछ करना है. हम हर दिन सीखते हैं, यही हमारी काम की मांग है. मेरे पास बहुत उम्दा, युवा और कुछ करने का जज्बा रखने वाली टीम है. टचवुड!

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