नोटबंदी आइडिया के प्रबल समर्थक और केंद्रीय रिजर्व बैंक के सदस्य एस. गुरुमूर्ति ने एक बार मोदी सरकार के इस सबसे बड़े आर्थिक फैसले को सही ठहराया है. इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में एस. गुरुमूर्ति ने बताया कि नोटबंदी करना बेहद जरूरी था, हालांकि उन्होंने यह भी माना इसका कुछ गलत प्रभाव जरूर पड़ा.
कॉन्क्लेव में टीवी टुडे नेटवर्क के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई ने उनसे सवाल किया कि भारत जैसी अर्थव्यवस्था में जहां लोग घर में कैश रखते हैं, वहां नोटबंदी जैसा बड़ा फैसला लेना कितना जायज था और इस फैसले का देश के कमजोर तबके पर असर देखा गया. इसके जवाब में आरबीआई बोर्ड के मेंबर एस. गुरुमूर्ति ने बताया कि नोटबंदी का फैसला बहुत जरूरी था.
उन्होंने अपने इस फैसले के पीछे तर्क देते हुए बताया, 'नोटबंदी का जितना असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ा, वो 2008 में आर्थिक मंदी के बाद अमेरिकी इकोनॉमी से कहीं कम था.' इसके साथ ही उन्होंने कुछ आंकड़े भी रखे. एस. गुरुमूर्ति ने बताया, '1999-2004 के दौरान स्टॉक एक्सचेंज में 31% की बढ़ोतरी हुई, सोने की कीमत में 32 फीसदी उछाल और रियल एस्टेट में दाम 21 फीसदी बढ़े. इस दौरान ग्रोथ रेट 5.4 रहा.'
एस. गुरुमूर्ति ने बताया कि इसके बाद 6 साल के अंदर ही स्टॉक मार्केट, गोल्ड और रियल एस्टेट में कई गुना वृद्धि हुई. उन्होंने कहा कि महज 6 साल के अंदर स्टॉक में 338%, गोल्ड में 330% और रियल एस्टेट के रेट में 210 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. गुरुमूर्ति ने दावा किया कि इस पूरे मार्केट में बड़े नोट का इस्तेमाल होता था, यही वजह रही 500-1000 के नोट बंद करने का फैसला लिया गया. गुरुमूर्ति ने ये भी कहा कि इस दौरान ग्रोथ तो काफी हुई, लेकिन महज 2.8 मिलियन जॉब ही पैदा हो पाईं.
बदलाव के लिए थोड़ा सहना पड़ता है
एस. गुरुमूर्ति ने कहा कि जब कोई बुनियादी बदलाव किया जाता है तो उससे होने वाले कुछ नुकसान को भी सहना पड़ता है. हालांकि, उन्होंने जीएसटी के फैसले से अपनी असहमति जताई. एस. गुरुमूर्ति ने कहा कि जीएसटी को चरणों में लागू किया जाना चाहिए थे.
इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि आरबीआई और सरकार के बीच गतिरोध नहीं होना चाहिए, लेकिन इसके लिए दोनों अपनी भूमिका समझनी चाहिए. दोनों में तालमेत जरूरी है. उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास की दिशा में सरकार की अपनी भूमिका है और आरबीआई का अपना अलग रोल है. दोनों के साथ आने से ही देश आगे बढ़ेगा. पिछले दिनों जो कुछ हुआ उसे टकराव नहीं कह सकते.