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इंडिया टुडे कॉन्क्लेव: फ्री न्यायपालिका-मीडिया के बिना देश में आजादी नहीं रहेगीः इंदिरा जयसिंह

इंदिरा जयसिंह ने कहा कि बेंच फिक्सिंग हकीकत है और इसके जरिए कोर्ट के फैसलों को प्रभावित करने की कोशिश की जाती है. हालांकि पिंकी आनंद ने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट भ्रष्टाचार से मुक्त है.

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इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में इंदिरा जयसिंह
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में इंदिरा जयसिंह

अगर न्यायपालिका और मीडिया आजाद नहीं रही तो देश की आजादी भी खत्म हो जाएगी. हाल के दिनों में इन दोनों स्तंभों की आजादी पर लगातार सवाल उठे हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट इंदिरा जयसिंह का कहना है कि इन दोनों स्तंभों की आजादी बनाए रखनी चाहिए.

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2018 के दूसरे और अंतिम दिन रूल ऑफ लॉ-जस्टिस इन दि डॉक विषय पर सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट इंदिरा जयसिंह और एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने शिरकत की. सत्र का संचालन राजदीप सरदेसाई ने किया.

न्यायपालिका में होती है बेंच फिक्सिंग

सत्र की शुरुआत न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चर्चा की गई. क्या न्यायपालिका में बेंच फिक्सिंग होती है. जवाब में इंदिरा जयसिंह ने कहा कि बेंच फिक्सिंग हकीकत है और इसके जरिए कोर्ट के फैसलों को प्रभावित करने की कोशिश की जाती है.

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हालांकि पिंकी आनंद ने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट भ्रष्टाचार से मुक्त है. उन्होंने कहा कि जज के रोस्टर का एक सिस्टम है जहां यह तय किया जाता है कि किस कोर्ट में किस जज को बैठना है.

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सुप्रीम कोर्ट की स्थिति एक ज्वालामुखी की तरह

जस्टिस लोया के मामले में हो रही राजनीति पर पिंकी ने कहा कि न्यायपालिका सिर्फ सुबूत के आधार पर ही केस में फैसला करती है. इंदिरा जयसिंह ने कहा कि न्यायपालिका का राजनीतिकरण सिर्फ जज की नियुक्ति के समय पर ही संभव है. इंदिरा ने कहा कि जज की नियुक्ति करते समय ही यह संभव है और ऐसे लोगों को जज बनाया जा सकता है जिनके तहत मामलों में फैसलों के प्रभावित किया जा सकता है.

इंदिरा का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में 2014 के बाद से ही नहीं बल्कि लंबे समय से यह होता आ रहा है. पर समय आ गया है कि इस पर बोला जाए.

इंदिरा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की स्थिति एक ज्वालामुखी की तरह है. उन्होंने कहा कि देश की सबसे बड़ी कोर्ट के चार जज यदि जनता के सामने जाकर यह कहते हैं कि कोर्ट की व्यवस्था में सब कुछ ठीक नहीं है और यह अपील करते हैं कि तुरंत कदम उठाए जाएं नहीं तो देश में लोकतंत्र नहीं बचेगा तो इस बात को बेहद गंभीरता से लिया जाना चाहिए.

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इंदिरा ने कहा कि मीडिया और न्यायपालिका की आजादी के बगैर देश की आजादी भी खत्म होती जाएगी. हालांकि पिंकी का कहना है कि विधायिका न्यायपालिका की कार्यप्रणाली में किसी तरह का हस्तक्षेप करती है.

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