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अमेरिकी राजनयिकों पर लटकी इनकम टैक्स की तलवार

1998 में जब भारत ने एटमी परीक्षण किया था तो अमेरिका ने उस परकई कड़े प्रतिबंध लगाए थे. अब उसे विदेश मंत्रालय की ओर से उठाएगए कदमों की आंच झेलनी पड़ रही है.

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अमेरिकी राजदूत नैंसी पावेल और देवयानी खोबरागड़े
अमेरिकी राजदूत नैंसी पावेल और देवयानी खोबरागड़े

1998 में जब भारत ने एटमी परीक्षण किया था तो अमेरिका ने उस पर कई कड़े प्रतिबंध लगाए थे. अब उसे विदेश मंत्रालय की ओर से उठाए गए कदमों की आंच झेलनी पड़ रही है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) से कहा है कि वह दूतावास के कर्मचारियों की सैलरी, टैक्स रिटर्न, उनके एंप्लॉयमेंट डिटेल और उन्हें मिले टैक्स छूट की स्क्रूटनी करे.

मेल टुडे को पता चला है कि अमेरिकी राजदूत नैंसी पॉवेल को अपना नेपाल दौरा रद्द करना पड़ा क्योंकि भारत सरकार ने उन्हें विशेषाधिकार देने से मना कर दिया जो वह आम तौर पर भारत में अमेरिकी राजदूत को देती है. नैंसी पॉवेल ने विदेश मंत्रालय से आग्रह किया था कि वह उन्हें प्रोटोकॉल लाउंज दिलाए, सिक्योरिटी मुहैया कराए और इमिग्रेशन में मदद करे. लेकिन विदेश मंत्रालय ने मना कर दिया और कह दिया कि देवयानी खोबरागड़े के साथ हुई बदसलूकी की वजह से ये सभी विशेष सुविधाएं अब छीन ली गई हैं.

इतना ही नहीं, भारत ने अपनी शिकायत पर जोर देने के लिए अमेरिकी मिशन के डिप्टी चीफ माइकल पेलेटियर को क्रिसमस की शाम विदेश मंत्रालय में बुलाकर एक विरोध पत्र थमा दिया. क्रिसमस की शाम सभी अमेरिकी अपने परिवार के साथ परंपरागत डिनर करते हैं. भारत ने देवयानी को अमेरिका की ओर से राजनयिक विशेषाधिकार देने से मना करने के बाद अपना रवैया और सख्त कर दिया है. इसके साथ ही भारत ने वाशिंगटन को संकेत दिया है कि वह देवयानी को नया डिप्लोमैटिक कार्ड देने में देरी न करे. अमेरिका को उसके वीजा स्टेटस में बदलाव करना होगा ताकि वह अमेरिका में भारतीय मिशन ज्वॉइन कर सके.

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टैक्सकर्मियों को जांच का आदेश
अब विदेश मंत्रालय चाहता है कि टैक्सकर्मी अमेरिकी मिशन के अधिकारियों के टैक्स खातों की जांच करें. इसके लिए उसने सीबीडीटी को लिखकर भेजा है कि वह अमेरिकी दूतावास को नोटिस देकर सभी टैक्स रिटर्न, टैक्स भुगतान और रोजगार का ब्यौरा मांगे. यही बात अमेरिकी वाणिज्य दूतावासों के लिए कही गई है.

सूत्रों ने बताया कि डिपार्टमेंट अब अमेरिकी दूतावास के सभी कर्मियों की और उनके परिवारों की हर कोण से जांच करेगा. पहले कभी ऐसा नहीं होगा. एक सरकारी सूत्र ने बताया कि अमेरिका ने यहां स्थित अमेरिकी स्कूल और एक ब्यूटी सैलून तथा काफे के लिए टैक्स में छूट ले रखी है. अब हमें देखना है कि उन्हें टैक्स में छूट क्यों मिले. अमेरिकी दूतावास ने इस पर जवाब दिया था कि इसके लिए उसे अमेरिका स्थित मुख्यालय से अनुमति लेनी होगी लेकिन भारत ने मना कर दिया और साफ कर दिया कि वह इस मामले में देरी नहीं चाहता है.

देवयानी के पक्ष में एक और तर्क
भारत ने अमेरिका पर दवाब तो बना ही रखा है. अब वह कानूनी तौर से भी मजबूत तर्क दे रहा है. ताजा मामले में भारत ने कहा है कि जिस दिन देवयानी को गिरफ्तार किया गया था उस दिन उसे डिप्लोमैटिक इम्युनिटी मिली हुई थी. उस समय वह यूएन के साथ भी जुड़ी हुई थीं. उसे सलाहकार का दर्जा मिला हुआ था. विएना कंवेशन के अनुसार ऐसे राजनयिकों को इम्युनिटी मिली होती है. प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के यूनाइटेड नेशंस में भाषण देने के सिलसिले में देवयानी को यूएन के साथ जोड़ा गया था और उसे वहां 31 दिसंबर 2013 तक सलाहकार के रूप में काम करना था. एक सूत्र ने कहा कि ऐसी हालत में उन्हें गिरफ्तार करना अनुचित था.

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बताया जा रहा है कि विदेश मंत्रालय अमेरिकी राजनयिकों पर अभी और सख्ती करेगा. उनके कई संस्थाओं में काम करने के बारे में जांच-पड़ताल की जाएगी.

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