बोधगया ब्लास्ट में इंडियन मुजाहिदीन के साथ बांग्लादेश के आतंकवादी संगठन हिजबुत तहरीर का हाथ होने का शक जताया जा रहा है. इसके मद्देनजर एनआईए बांग्लादेश की सिक्योरिटी एजेंसियों की मदद ले रही है.
एनआईए ने हिजबुत तहरीह की ऑपरेशनल कैपिबिलटी की जानकारी के बारे में रॉ और आईबी से डिटेल्स मांगी है, ताकि वो बांग्लादेश की एजेंसियों से ये जानकारी हासिल करें. सूत्रों के मुताबिक, हिजबुत तहरीर पिछले तीन साल से इस इलाके में इंडियन मुजाहिदीन के साथ काम कर रहा है. तहरीर की बिहार में भी अच्छी-खासी मौजूदगी है.
सूत्रों के मुताबिक, इंडियन मुजाहिदीन का यह नापाक रिश्ता 2010 से शुरू होता है, जब आईएम ने अपने दरभंगा और पश्चिम बंगाल के मॉड्यूल को एक्टिव किया था. हिजबुत तहरीर के लोग बॉर्डर के इलाके में हैं और इंडियन मुजाहिदीन के लोगों को जरूरत के मुताबिक बॉर्डर के इधर-उधर लाते, ले जाते है.
सूत्रों के मुताबिक, आतंकवादियों ने रोहिंग्या मुस्लिम के खिलाफ हिंसा को लेकर एक मैसेज देने के लिए ये धमाके किए हैं. आईबी को कुछ दिन पहले इस बात की सूचना मिली थी कि लश्कर रोहिंग्या मुस्लिम के कुछ लोगो को बौद्धों के खिलाफ ट्रैंनिंग दे रहा है. ये धमाके जल्दबाजी में कए गए है.
आतंकवादियों ने बोधगया और धर्मशाला में से सुरक्षा के लिहाज से आसान टारगेट मानते हुए बोधगया को ही चुना. दरभंगा माड्यूल के लिए महज चार घंटे की दूरी के चलते बोधगया में आईएम के लिए धमाके करना आसान है.
सूत्रों के मुताबिक, आईएम और तहरीह के मॉ़ड्यूल के बीच कई मीटिंग होने के भी सबूत हैं. सऊदी अरब के मुकाबले हिजबुत अपना ज्यादातर फंड वेस्ट एशिया से इकट्ठा करता है और इसी से वह आईएम की फंडिग भी करता है. आईएम ने इस इलाके में अपनी पकड़ मजबूत बना रखी है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले तीन सालों में इस इलाके से फसीह महमूद सहित 14 आतंकियों को गिरफ्तार किया गया है.
बोधगया में लगाए गए बम 2008 तक के धमाकों में इंडियन मुजाहिदीन के इस्तेमाल किए गए बम जैसे थे. लेकिन 2008 के बाद आईएम तकनीकी तौर पर उन्नत बमों का इस्तेमाल शुरू कर दिया था. इन बमों के आधार पर एजेंसियों को आईएम के माड्यूल पर बौद्धगया के धमाकों को अंजाम देने का शक है.
बम के साथ मिली स्लिप, जिस पर बम को प्लांट करने की लोकेशन लिखी हुई थी, इस बात की ओर इशारा कर रही है कि इस मामले में मेन माड्यूल ने किसी लोकल के माड्यूल को बम प्लांट करने का काम दिया था. लेकिन बम को इतनी सुबह प्लांट करने का मकसद जांच एजेंसियों को हैरान कर रहा है, क्योंकि अमूमन इस वक्त तक मंदिर में काफी भीड़भाड़ नहीं होती है. हालांकि जानकारी के मुताबिक धमाकों के दो दिन पहले ही म्यांमार के एक मंत्री ने मंदिर का दौरा किया था. एजेंसियों के मुताबिक या तो आतंकवादी ग्रुप मंत्री को निशाना बनाना चाहता था या उसकी टाइमिंग गलत हो गई. यह भी मुमकिन है कि धमाके सिर्फ सिग्नल देने के मकसद से किए गए.