क्या जीतन राम मांझी एक बार फिर बिहार की राजनीति के सेंटर प्वाइंट बनने जा रहे हैं? आरजेडी नेता लालू प्रसाद के बयान के बाद उनकी अहमियत फिर से बढ़ गई है. लालू का कहना है कि हमारी कोशिश धर्मनिरपेक्ष ताकतों को एकजुट रखने की होनी चाहिए - और इसके लिए वो मांझी को भी साथ लेने के पक्ष में हैं. जाहिर है ये बात नीतीश को तो कतई रास नहीं आएगी.
लालू के लिए कितने अहम हैं मांझी
इससे पहले लालू की पार्टी आरजेडी के नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने मांझी को नीतीश सरकार में डिप्टी सीएम बनाने की सलाह दी थी. उस बयान के पीछे भी लालू की ही सहमति मानी जा रही थी.
अब मांझी को लेकर लालू के ताजा बयान के क्या मायने क्या हो सकते हैं?
जनता परिवार का विलय अब तक नहीं हो सका है. कवायद तो जारी है लेकिन इसकी संभावना भी काफी कम नजर आ रही है. ऐसे में लालू प्रसाद और और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टियों में गठबंधन होगा. दोनों नेता अपने खाते में ज्यादा सीटें लेने की कोशिश में हैं. सीटें तो उसी को ज्यादा मिलेंगी जो ज्यादा मजबूत पड़ेगा या जिसके पास कोई और तर्कसंगत आधार होगा.
बताते हैं कि नीतीश पिछले विधान सभा चुनाव में मिली सीटों के आधार पर बंटवारा चाहते हैं. लालू चाहते हैं कि 2014 के लोक सभा चुनाव शेयर के हिसाब से बंटवारा हो.
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