अदालत ने एक व्यक्ति को पिता के साथ मिल कर पहली पत्नी को आत्महत्या के लिए कथित तौर पर उकसाने के आरोप से बरी कर दिया. अदालत ने यह भी कहा कि इस व्यक्ति के कथित पहली पत्नी के साथ विवाह के बारे में कोई सबूत नहीं हैं.
अतिरिक्त सत्र जज गुरदीप सिंह सैनी ने कहा ‘ऐसा कोई गवाह नहीं है जिसने विपिन जैन और मृतक स्मिता रस्तोगी का विवाह होते हुए देखा हो. इसे साबित करने वाला कोई दस्तावेज या तस्वीर भी नहीं है.’ अदालत ने महिला द्वारा आत्महत्या से पूर्व लिखे गए नोट पर संदेह जताते हुए कहा कि वह अपने ससुराल में एक दिन भी नहीं रही और ऐसा कोई सबूत भी नहीं है जिससे पता चले कि विपिन और स्मिता के बीच कोई कलह हुई थी.
पुलिस के अनुसार, स्मिता और विपिन एक दूसरे को चाहते थे और उनका विवाह एक मंदिर में हुआ था. वे दोनों स्मिता के अभिभावकों के साथ रह रहे थे. पुलिस ने बताया कि स्मिता ने पति की अन्यत्र सगाई की खबर सुन कर 24 नवंबर 2005 को फांसी लगा ली. स्युसाइड नोट में स्मिता ने पिता और पुत्र दोनों पर आरोप लगाया था.
अदालत के अनुसार, महिला विवाह के बावजूद लंबे समय से अपने अभिभावकों के साथ रह रही थी. ऐसा कोई तथ्य नहीं मिलता जिससे साबित हो सके कि आरोपियों ने उसे आत्महत्या करने के लिए उकसाया गया हो.