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गृह मंत्रालय का फैसला- जनगणना 2021 में सरकार जुटाएगी OBC जातियों का डाटा

 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले ओबीसी वोट बैंक को साधने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने उनकी कई पुरानी मांगों को पूरा किया है. संसद के पिछले सत्र में ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने की 55 साल पुरानी मांग को पूरा किया है.

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राजनाथ सिंह (फाइल फोटो)
राजनाथ सिंह (फाइल फोटो)

केंद्र सरकार जनगणना 2021 में पहली बार अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को लेकर अलग से आंकड़े जुटाएगी. गृह मंत्रालय ने ओबीसी डाटा जुटाने के निर्देश दिए हैं. लंबे समय से जाति जनगणना की मांग की जाती रही है. इस संदर्भ में संसद में भी मांग उठती रही है. 2019 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर मोदी सरकार के इस फैसले को अहम माना जा रहा है.

इस मुद्दे पर शुक्रवार को गृह मंत्रालय में एक उच्च स्तरीय बैठक हुई. इसमें केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू, रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया के अधिकारी शामिल थे. बैठक में राजनाथ सिंह ने 2021 की जनगणना की रूपरेखा को सही तरीके से लागू करने का फैसला किया. साथ ही गृह मंत्री ने जनगणना की प्रक्रिया को तेज करने को कहा है. केंद्र सरकार के मुताबिक जनगणना खत्म होने के 3 साल के भीतर ही पूरे आंकड़ों को जारी किया जाएगा. पहले जनगणना के आंकड़ों को जारी करने में 7-8 साल लग जाते थे.

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सरकार ने ओबीसी आंकड़ों को जुटाने का फैसला किया है. गृह मंत्रालय के मुताबिक घरों की सूची तैयार करने के लिए मैप और जियो चिप इस्तेमाल किया जाएगा. 25 लाख लोगों को इस जनगणना के लिए अलग से प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि 2021 की जनगणना को सही तरीके से 3 साल के भीतर पूरा किया जा सके.

केंद्रीय गृह मंत्री ने 2021 में जनगणना के रोडमैप पर चर्चा की और जोर दिया गया कि जनगणना के 3 साल के भीतर उसके आंकड़ों को अंतिम रूप देने के लिए डिजाइन और तकनीकी हस्तक्षेप में सुधार किए जाएंगे. जनगणना 2021 में डेटा के सटीक संग्रह के लिए करीब 25 लाख कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जाएगा. यह पहली बार होगा. ओबीसी जातियों के आंकड़ों को एकत्रित किया जाएगा.

केंद्रीय गृह मंत्री ने सिविल पंजीकरण प्रणाली में विशेष रूप से दूरदराज के इलाकों में जन्म और मृत्यु के पंजीकरण, शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर और प्रजनन दर के आंकड़ों के अनुमान के लिए नमूना पंजीकरण प्रणाली को मजबूत करने पर सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया.  

गौरतलब है कि 2019 के चुनाव से पहले ओबीसी वोट बैंक को साधने के लिए मोदी सरकार ने उनकी कई पुरानी मांगों को पूरा किया है. संसद के पिछले सत्र में ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने की 55 साल पुरानी मांग को पूरा किया है.

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