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लालन कॉलेज से नरेंद्र मोदी का तंज, 'किस रॉकेट में बैठकर फासला तय करोगे प्रधानमंत्री जी'

स्वतंत्रता दिवस पर भुज के लालन कॉलेज से भाषण देते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर भारी पड़े. उन्होंने लाल किले से दिए गए प्रधानमंत्री के भाषण में जमकर खामियां निकालीं और कई मसलों पर उनकी कड़ी आलोचना की.

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नरेंद्र मोदी
नरेंद्र मोदी

स्वतंत्रता दिवस पर भुज के लालन कॉलेज से भाषण देते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर भारी पड़े. उन्होंने लाल किले से दिए गए प्रधानमंत्री के भाषण में जमकर खामियां निकालीं और कई मसलों पर उनकी कड़ी आलोचना की.

नरेंद्र मोदी ने कहा, 'प्रधानमंत्री जी आपका नाम अब सबसे ज्यादा बार तिरंगा फहराने वाले प्रधानमंत्रियों में शामिल हो गया है. फिर भी आप वही बोल रहे हो जो 60 साल पहले नेहरू बोला करते थे. सवाल यह है कि इन 60 सालों में आपने क्या किया.'

मोदी ने एक परिपक्व राजनेता की तरह अपने भाषण में संतुलन बनाया. वह बढ़ती गरीबी पर भी बोले और शिक्षा पर भी. पीएम के भाषण की आलोचना की और विकास पर भी पर्याप्त बातें कहीं.

मोदी ने संकेतों में यूपीए सरकार के आखिरी कार्यकाल पर तंज भी कसा. उन्होंने कहा, 'एक तरफ मीडिया कह रहा है कि यह प्रधानमंत्री का आखिरी भाषण है, और दूसरी तरफ वह कह रहे हैं कि अभी हमें और फासला तय करना है. कौन से रॉकेट में बैठकर फासला तय करोगे प्रधानमंत्री जी. देश को गरीबी के गर्त में डुबो दिया है.'

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राष्ट्रपति के भाषण से सहमति जताई
भारत माता की जय के साथ भाषण शुरू करने वाले मोदी ने देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दीं और देश को आजादी दिलाने वाले महापुरुषों को याद करना भी नहीं भूले.

मोदी ने बुधवार के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के भाषण का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, 'राष्ट्पति कह रहे हैं कि हमारी सहन शक्ति की सीमा होनी चाहिए. पर यह सीमा शासक ही तो तय करेंगे. चीन आकर हमारी सीमाओं पर अड़ंगा डाले, इटली के सैनिक केरल के मछुआरों को मार दें, पाकिस्तान के सैनिक हमारे जवानों के सिर काट लें, तब जाकर हमें चिंता होती है कि सहनशीलता की सीमा कौन सी है. वह सीमा व्याख्यायित होनी चाहिए. राष्ट्रपति जी आपकी चिंता से मैं भी अपना सुर मिलाता हूं.'

पाकिस्तान पर क्यों नहीं बोले पीएम
मोदी ने प्रधानमंत्री को अपने भाषण में पाकिस्तान को कड़ा संदेश न देने के लिए आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों को देखते हुए प्रधानमंत्री के स्तर की भाषा क्या होनी चाहिए, मैं समझता हूं. लेकिन सेना का हौसला बुलंद हो इसके लिए देश पीएम से थोड़ी कड़ी भाषा की अपेक्षा करता है. देश की सेना का मनोबल बढ़ाने के लिए लाल किला सर्वोत्तम स्थान है. उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री जी लाल किले से बोले. लेकिन मैं अकाल पीड़ित कच्छ से बोल रहा हूं, जहां से आवाज पाकिस्तान पहले सुनाई देती है और दिल्ली बाद में'

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करप्शन पर आया दामाद वाला सीरियल
मोदी ने भ्रष्टाचार के लिए भी यूपीए सरकार पर तंज कसा. उन्होंने कहा कि जैसे पहले टीवी सीरियल आते थे, वैसे अब करप्शन के सीरियल आते हैं. पहले भाई-भतीजावाद के सीरियल का दौरा था. फिर नया सीरियल आया मामा-भांजे का और अब आगे बढ़ते हुए सास-बहू और दामाद का सीरियल शुरू हो गया है.

एक परिवार की भक्ति में डूबे पीएम
मोदी ने पीएम के भाषण को कहीं से भी नहीं बख्शा. उन्होंने कहा, 'मैं पीएम का भाषण सुन रहा था कि हमें भी प्रेरणा मिले. लेकिन मैं बहुत निराश हुआ. पूरा देश निराश हुआ. अरे आप प्रधानमंत्री हैं, लेकिन लाल किले पर अपने भाषण में आप सिर्फ एक परिवार की भक्ति में डूब गए. नेहरू और इंदिरा का जिक्र करते हुए क्या अच्छा नहीं होता अगर आप सरदार पटेल को भी याद करते. आप अपनी ही पार्टी लाल बहादुर शास्त्री का भी जिक्र कर देते. वह भी हमारे पीएम थे. जय जवान जय किसान का नारा दिया था.'

सब सरकारों को दिया गुजरात के विकास का श्रेय
 प्रधानमंत्री पर हावी रहने के लिए मोदी ने चालाक राजनेता की तरह गुजरात के विकास के लिए दूसरी सरकारों को भी श्रेय दिया. उन्होंने कहा, 'यह सिर्फ हमारा काम नहीं है. गुजरात के विकास में 6.5 करोड़ गुजरातियों का योगदान है.  पहले की सरकारों और सभी मुख्यमंत्रियों का भी योगदान है. हमारी मिली-जुली ताकत का योगदान है. हां हमने गति बढ़ाई है, लक्ष्य तय किए हैं. उसी का नतीजा है कि गुजरात में आज सबसे कम बेरोजगार हैं.'

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