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‘ग्रीन’ और ‘घाना’ की चूक नहीं भूलायी जा सकती

दक्षिण अफ्रीका में आयोजित 2010 फीफा विश्व कप को कई अच्छी और बुरी बातों के लिये याद किया जायेगा लेकिन अगर इस महासमर की सबसे बड़ी भूल को देखा जाये तो यह घाना के नाम रहेगी जो सेमीफाइनल में प्रवेश करने का मौका चूक कर पहला अफ्रीकी देश बनने की उपलब्धि से महरूम रह गया जबकि इंग्लैंड के गोलकीपर ग्रीन की चूक इतिहास के पन्नों में नाम लिखा चुकी है.

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दक्षिण अफ्रीका में आयोजित 2010 फीफा विश्व कप को कई अच्छी और बुरी बातों के लिये याद किया जायेगा लेकिन अगर इस महासमर की सबसे बड़ी भूल को देखा जाये तो यह घाना के नाम रहेगी जो सेमीफाइनल में प्रवेश करने का मौका चूक कर पहला अफ्रीकी देश बनने की उपलब्धि से महरूम रह गया जबकि इंग्लैंड के गोलकीपर ग्रीन की चूक इतिहास के पन्नों में नाम लिखा चुकी है.

मैदान पर और इसके बाहर कई बड़ी गलतियां हुई लेकिन ये भूलें ऐसी हैं जो लोगों के दिमाग में बुरी यादों की तरह तरोताजा रहेंगी, हालांकि इसमें रैफरियों के गलत फैसले से हुए विवाद भी शामिल हैं. विश्व कप की अधिकारिक गेंद ‘जाबुलानी’ का विवाद भी इस विश्व कप के इतिहास में दर्ज हो जायेगा.

किन्तु अगर रैफरियों को छोड़कर मैदान के अंदर के प्रदर्शन की बात की जाये तो घाना विशेषकर असामोह ग्यान को यह दर्द हमेशा ही सालता रहेगा कि वे पहली बार विश्व कप के सेमीफाइनल में पहुंचने वाली दक्षिण अफ्रीकी टीम के रूप में अपना नाम इतिहास में दर्ज कराने से करीब से चूक गये.

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घाना और उरूग्वे के बीच क्वार्टरफाइनल मैच अतिरिक्त समय में चल रहा था और 1-1 से बराबरी के बाद पेनल्टी शूटआउट की ओर बढ़ रहा था, तभी घाना विजयी गोल कर देता लेकिन उरूग्वे के लुईस सुआरेज ने गोल लाइन के बाहर से हाथ से गेंद को रोक दिया जिससे उन्हें लाल कार्ड दिखाया और घाना को पेनल्टी मिली.

लेकिन उनके स्टार स्ट्राइकर ग्यान का पेनल्टी शाट बाहर चला गया और घाना पेनल्टी शूट आउट में उरूग्वे से 4-2 से हार गया । एक तरफ जहां अर्जेंटीना के महान खिलाड़ी डिएगो माराडोना का नाम 1986 विश्व कप में ‘हैंड आफ गाड’ से जुड़ा हुआ है, वहीं सुआरेज का नाम भी ‘कुख्यात’ वर्ग में दर्ज हो गया है. सुआरेज को हालांकि इस बात का कोई पछतावा नहीं था और उन्होंने कहा कि अब ‘हैंड आफ गाड’ का तमगा मेरे नाम हो गया है जबकि यह जानबूझकर की गयी गलती भी इस विश्व कप के लिये याद की जायेगी.{mospagebreak}

वहीं इंग्लैंड के लिये अमेरिका के खिलाफ गोलकीपर राबर्ट ग्रीन की भयंकर भूल उसके टूर्नामेंट से बाहर होने का कारण भी रही क्योंकि ‘थ्री लायंस’ को इससे केवल एक अंक मिला और इस मैच से सुनिश्चित कर दिया कि वे अपने ग्रुप में शीर्ष पर नहीं रहेंगे जिसके कारण उनका सामना अंतिम 16 में जर्मनी से हुआ जिसने उन्हें 4-1 से रौंद दिया.

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फ्रांस की टीम के अंदर हुई समस्या भी ऐतिहासिक रही, जिसके बाद मीडिया ने खिलाड़ियों और कोच दोनों की काफी आलोचना की. टीम के स्टार स्ट्राइकर निकोलस एनेल्का ने मेक्सिको से हारने के बाद मुख्य कोच रेमंड डोमेनेच को अपशब्द कहे और माफी मांगने से इंकार कर दिया. एनेल्का को इसके बाद फ्रांस फुटबाल महासंघ ने स्वदेश भेज दिया गया और इसी मुद्दे पर कप्तान पैट्रिस इवरा की ट्रेनर रोबर्ट डुवर्ने के साथ कहासुनी हो गयी जिसके विरोधस्वरूप खिलाड़ियों ने ट्रेनिंग का बहिष्कार कर दिया. इस तरह फ्रांसीसी टीम का टूर्नामेंट से अंत हो गया.

‘सुपर ईगल्स’ नाईजीरियाई टीम का अफ्रीकी देशों के हिसाब से विश्व कप में काफी दबदबा रहा है, लेकिन इस विश्व कप में उसकी चमक काफी फीकी रही. नाईजीरिया का अब तक का यह विश्व कप में सबसे खराब प्रदर्शन रहा है. उनके एक खिलाड़ी सानी काइटा को यूनान के खिलाफ लाल कार्ड दिखाया गया था, जिसमें टीम 1-0 से आगे चल रही थी, लेकिन 1-2 से हार गयी. जिसके बाद खबर आयी थी कि उन्हें मारने की धमकी मिल रही है लेकिन दिलचस्प बात यह रही कि उनके मैनेजर ने कहा कि ‘हमारी भाषा में मैं तुम्हें मारना चाहता हूं का मतलब है कि मैं तुम्हारे प्रदर्शन से खुश नहीं हूं ’

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अर्जेंटीना के कालरेस टेवेज के आफ साइड से किये गोल के बाद मेक्सिको ने अपना आपा तो खोया ही गेंद पर दबदबा भी खो दिया और अंतिम 16 के बाद उसका भी टूर्नामेंट से अंत हो गया.

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