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रघु राय की नजर का कमाल

पचास साल तक देश के पुण्यात्माओं और पापियों, नेताओं और अदाकारों, कलाकारों और आमजन की हर छोटी-बड़ी सचाई, इतिहास के खट्टे-मीठे अनुभवों का अनोखा एहसास है 'पिक्चरिंग टाइमः द ग्रेटेस्ट फोटोग्राक्रस ऑफ रघु राय.' रघु राय की 192 पन्नों की यह किताब एलेफ बुक कंपनी से प्रकाशित हुई है. कीमत है 1,999 रुपये.

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रघु राय
रघु राय

''सभी फोटोग्राफर जयप्रकाश नारायण के बिस्तर के पायताने खड़े थे. मैंने सोचा कि मोरारजी देसाई के कान कितने खास हैं, क्यों न मैं उसके पीछे जाऊं और वहां से जेपी की तस्वीर उतारूं.'' यही रघु राय की नजर की खासियत है, जो 50 साल से नीरस-सी खबरों की तस्वीरों को भी कला का खास नमूना बनाते रहे हैं. पहली बार जब उनके फोटोग्राफर बड़े भाई स्वराज पॉल ने उन्हें अगफा सुपर सिलेट कैमरा थमाया था, तब से आज तक वे अपने डिजिटल निक्कॉन डी810 और डी750 कैमरे से हर दौर के इतिहास और खूबसूरती को कैद करने में जुटे हैं.

इंडिया टुडे के लिए 10 साल तक उतारी तस्वीरें
रघु राय अपने कैमरे की तीसरी आंख से इंडिया टुडे के लिए 10 साल तक राजनैतिकों कलाकारों, साधु-संन्यासियों, दागियों—लांछितों, अदाकारों और मशहूर हस्तियों की तस्वीरें उतारते रहे हैं. किताब 'पिक्चरिंग टाइमः द ग्रेटस्ट फोटोग्राफ्स ऑफ रघु राय' में वे बताते हैं कि वे चाहते हैं कि उनकी तस्वीरें जिंदगी की जिजीविषा को अभिव्यक्त करें. प्रस्तावना में वे लिखते हैं, 'दर्शन करना सिर्फ किसी व्यक्ति या स्थान को देखना भर नहीं होता है, बल्कि उस स्थान, व्यक्ति के संपूर्ण भौतिक और आंतरिक सचाइयों का गहरा एहसास प्राप्त करना होता है.'

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सच्चाई बोलता है उनका कैमरा
सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले राय सूखाग्रस्त राजस्थान में इंदिरा गांधी के हेलिकॉप्टर से उठते धूल के गुबार से लेकर दिल्ली-मुंबई की एक रेलगाड़ी के डिब्बे के दरवाजे के सहारे झूलते हुए चाय के प्यालों को संतुलित रखने की कोशिश करते चायवाले की तस्वीर तक हर उस छोटी-बड़ी, सामान्य-असामान्य घटना को कैमरे में उसकी पूरी सचाई के साथ कैद करने की कोशिश करते रहे हैं. फोटोग्राफ ही उनकी जिंदगी का धर्म, कर्म है. चाहे इसके लिए उन्हें देश की प्रधानमंत्री से शिमला में शाम की किरणों में ढाई फुट की पुलिया पर टहलने को कहना पड़े या फिर वायु सेना प्रमुख से एक मालवाहक विमान को अलस्सुबह और गोधूलि वेला में ताजमहल के ऊपर से उड़ाने का आग्रह करना पड़े.

इंदिरा गांधी रही हैं प्रिय विषय
इंदिरा गांधी उनका प्रिय विषय रही हैं. यहां वे गुजरात के विधायकों के साथ हैं, इसी वजह से उन्हें 'अपने मंत्रिमंडल में एकमात्र पुरुष' कहा जाता था. राय कहते हैं, जरा उनके लंबे समय तक सहयोगी रहे आर.के. धवन के चेहरे का भाव तो देखिए.

सैम मानेक शॉ की मूछें
सैम मानेक शॉ,1973. राष्ट्रपति वी.वी. गिरि पहली बार किसी सेना प्रमुख को पांच सितारों वाले रैंक के फील्ड मार्शल से नवाज रहे थे. तस्वीर में लगता है जैसे वे उनकी मशहूर मूंछें ऐंठ रहे हैं.

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सेट पर सत्यजित राय
सत्यजित राय, 1981. राय फिल्म घरे-बाइरे के सेट पर सत्यजित राय की तस्वीर खींच रहे थे. थोड़ी देर केलिए शूटिंग रुकी तो सत्यजित राय एक बिस्तर पर लेट गए. राय विस्तर के पीछे गए और पुकारा, 'मानिकदा.' ऐसे कैद हुआ वह पल.

जब आखिरी बार घर लौटे थे शास्त्री
लालबहादुर शास्त्री, 1966. शास्त्री इसी हालत में आखिरी बार घर लौटे थे. 'मैं तब प्रेस कार्ड के बिना एक जूनियर रिपोर्टर था. मैं शोकसंतप्त परिवार से एक सम्मानजनक दूरी पर गया और वह द स्टेटसमैन में छपी मेरी पहली राजनैतिक तस्वीर है.'

ऑपरेशन ब्लू स्टार से पहले भिंडरावाले
जरनैल सिंह भिंडरांवाले, 1984. ''मैं उन्हें पा्यजी कहा करता था, जो उनके समर्थकों के अच्छा नहीं लगता था. एक बार मुझे धमकाया भी गया. मैंने कहा कि उन्हें अच्छा लगता है तो तुम्हें क्या?'' ऑपरेशन ब्लूस्टार के पहले स्वर्ण मंदिर में उनकी तस्वीर.

बाल ठाकरे की चर्चित तस्वीर
बाल ठाकरे, 2002. 'मैं सोचता था कि बाल ठाकरे अक्खड़ आदमी होंगे लेकिन वे बेहद दोस्ताना थे. एक दोपहर उन्होंने मुझे खबर दी कि यह मेरा वाइन और सिगार का वक्त है. बिना किसी हिचक के वे सिगार के साथ फोटो खिंचवाने को तैयार हो गए.'

जेपी और मोरारजी देसाई
जयप्रकाश नारायण और मोरारजी देसाई, 1978 ''जेपी को प्रधानमंत्री का नाम तय करना था. सो, मोरारजी उनके पास गए.'' राय दूसरे फोटोग्राफरों से कुछ अलग गए और यह असामान्य-सी तस्वीर निकाल ली.

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