scorecardresearch
 

कुलियों के आएंगे अच्छे दिन, बदलेगा नाम और मिलेगी नई डिजाइनर ड्रेस

रेलवे पूरे देश में कुलियों को नए कलेवर में लाने की तैयारी में है. इसी सिलसिले में रेलवे बोर्ड ने पूरे देश में सभी कुलियों को अच्छे बर्ताव की ट्रेनिंग देने का निर्देश सभी रेलवे जोनों कोजारी किया है. उन्हें सहायक नाम भी दिया जाएगा.

Advertisement
X
बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने किया कुली का यादगार किरदार
बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने किया कुली का यादगार किरदार

कुली रेलवे का अभिन्न हिस्सा हैं. रेलयात्रियों का सामान पहुंचाने का काम कुली करते हैं, लेकिन रेलवे अब ये नाम बदलने की तैयारी कर रही है. रेलवे में कुली को सहायक का नाम देने की तैयारी की जा रही है. वजह ये है कि मौजूदा सरकार इसे अंग्रेजों की गुलामी का प्रतीक मानती है. अब कुली की जगह इन मददगारों को सहायक का नाम देने की घोषणा इस बार के रेल बजट में पहले ही की जा चुकी है.

सभी जोन को कुलियों से अच्छे बर्ताव के लिए लिखा
रेलवे पूरे देश में कुलियों को नए कलेवर में लाने की तैयारी में है. इसी सिलसिले में रेलवे बोर्ड ने पूरे देश में सभी कुलियों को अच्छे बर्ताव की ट्रेनिंग देने का निर्देश सभी रेलवे जोनों को जारी किया है. रेलवे कुली की पोशाक का रंग चटख लाल होता है और उसकी खास पहचान उनका बिल्ला नंबर होता है.

Advertisement

एनआईडी बनाएगी कुलियों की नई पोशाक
कुली की पोशाक को नए डिजाइन और रंग देने के लिए रेलवे ने एनआईडी को यह जिम्मा सौंपा है. रेलवे अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही इस बारे में आदेश जारी कर दिया जाएगा. देश भर में तकरीबन 40 हजार कुली हैं. कुली कोई रेलवे का कर्मचारी नहीं होता है. रेलवे इनको अपने स्टेशन पर बोझा ढोने का लाइसेंस देती है.

बिल्ला नंबर से होती है कुली की पहचान
इस लाइसेंस के तहत हर एक कुली का एक बिल्ला नंबर होता है. जिस कुली को ये बिल्ला मिलता है वो अपने परिवार में किसी अपने को बिल्ला ट्रांसफर कर सकता है. रेलवे कुलियों को जर्नी पास की सुविधा भी देती है. इन सबके बावजूद कुली रेलवे का होकर भी उसका नहीं है.

स्टेशन पर कुलियों के लिए नाकाफी हैं सुविधाएं
कुलियों के लिए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर कुली विश्रामालय भी है, लेकिन इसके अंदर सुविधाओं के नाम पर ज्यादा कुछ नहीं है. कुलियों के लिए टॉयलेट की सुविधा भी नाकाफी है. स्टेशन पर 1200 कुलियों के लिए ये छोटी सी जगह बनाई गई है. यहां पर पीने के पानी का भी इंतजाम नहीं है.

163 साल से बदतर है कुलियों की हालत
163 साल पहले जब पहली भारतीय रेल पटरी पर दौड़ी थी तबसे कुली रेलवे का अहम हिस्सा हैं. इनकी हालत हमेशा ही खराब रही है भले ही भारत अब बुलेट ट्रेन को चलाने का सपना हकीकत में बदलने की तैयारी कर रहा है. इस पहल से उनकी हालत में कोई बेहतर तब्दीली आने की उम्मीद की जा सकती है.

Advertisement
Advertisement