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देश के 28वें सेनाध्यक्ष बने नरवणे, 13 लाख सैनिकों वाली थलसेना की करेंगे अगुवाई

जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने मंगलवार को देश के नए सेना प्रमुख का कार्यभार संभाल लिया है. सेना प्रमुख की जिम्मेदारी संभालने के बादउन्होंने कहा कि ये ज़िम्मेदारी मिलना सम्मान की बात है. 

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जनरल मनोज मुकुंद नरवणे
जनरल मनोज मुकुंद नरवणे

  • देश के नए सेना अध्यक्ष बने जनरल नरवणे
  • बिपिन रावत की मौजूदगी में संभाला कार्यभार

जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने मंगलवार को देश के नए सेना प्रमुख का कार्यभार संभाल लिया है. जनरल नरवणे 28वें थलसेनाध्यक्ष हैं, जो 13 लाख सैनिकों वाली थलसेना की अगुवाई करेंगे. इससे पहले सेना प्रमुख रहे जनरल बिपिन रावत ने सेनाध्यक्ष के तौर पर अपना तीन साल का कार्यकाल पूरा किया. जनरल रावत को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS)  नियुक्त किया गया है.

थलसेनाध्यक्ष का पद संभालने से पहले जनरल नरवणे उप-सेना प्रमुख (वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ) की जिम्मेदारी निभा रहे थे. उप-सेना प्रमुख बनने से पहले वे पूर्वी कमान का नेतृत्व कर रहे थे जो चीन से लगने वाली करीब 4,000 किलोमीटर लंबी सीमा की निगहेबानी करती है.

जनरल नरवणे ने सेना प्रमुख की जिम्मेदारी संभालने के बाद पहली प्रतिक्रिया में कहा- ‘ये ज़िम्मेदारी मिलना सम्मान की बात है.’ नई ज़िम्मेदारी से जुड़ी चुनौतियों के बारे में पूछे जाने पर जनरल नरवणे ने कहा, “फोकस किए जाने वाले क्षेत्रों पर तत्काल कुछ कहना जल्दी होगा. आने वाले समय के साथ इस पर आगे बढ़ा जाएगा.”  

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जनरल नरवणे अपने 37 साल के कार्यकाल में कई कमान और स्टाफ नियुक्तियों में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. उन्होंने फील्ड, शांति काल में ड्यूटी के साथ जम्मू और कश्मीर और नॉर्थ ईस्ट में गड़बड़ी वाले क्षेत्रों में अहम ऑपरेशन्स को अंजाम दिया.

जनरल नरवणे ने जम्मू और कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स बटालियंस की कमान संभालने के साथ पूर्वी फ्रंट पर इन्फैन्ट्री ब्रिगेड की अगुवाई की. वे श्रीलंका में इंडियन पीस कीपिंग फोर्स का हिस्सा भी रह चुके हैं. इसके अलावा जनरल नरवणे ने म्यामांर में भारतीय दूतावास में तीन साल तक डिफेंस अटैचे के तौर पर भी कार्य किया.

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