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‘खेल’ हुआ है भोपाल फैसले में: रघु राय

भोपाल गैस त्रासदी की विभीषिका को सबसे पहले अपने कैमरे की नजर से दुनिया के सामने पेश करने वाले ख्याति प्राप्त फोटोग्राफर रघु राय का मानना है कि गैस त्रासदी फैसले में ‘खेल’ हुआ है.

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भोपाल गैस त्रासदी की विभीषिका को सबसे पहले अपने कैमरे की नजर से दुनिया के सामने पेश करने वाले ख्याति प्राप्त फोटोग्राफर रघु राय का मानना है कि गैस त्रासदी फैसले में ‘खेल’ हुआ है.

त्रासदी के बाद रघु ने एक मासूम चेहरे और खुली आंखों वाले एक बच्चे के शव को दफनाने के समय की तस्वीर खींची थी, जो दुनिया भर में त्रासदी का प्रतीक बन गई. दुनिया भर की पत्र-पत्रिकाओं में आज भी गैस त्रासदी के प्रतीक स्वरूप वही तस्वीर प्रकाशित होती है.

रघु ने कहा ‘‘आप एंडरसन को भागने के लिए हेलीकॉप्टर देते हैं, भारी स्तर पर लेन-देन से समझौते होते हैं, क्या इससे स्पष्ट नहीं होता कि अमेरिका का हम पर कितना दबाव रहता है.’’ रघु ने पर्यावरण पर काम करने वाली संस्था ग्रीनपीस के लिए गैस त्रासदी पर किए अपने काम पर एक शोध किया था, जिसके बाद उनकी तस्वीरों की दुनिया के विभिन्न देशों में प्रदर्शनी लगाई गई थी.

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रघु ने प्रदर्शनी के बारे में बताया ‘‘अमेरिका में प्रदर्शनी के दौरान एक अज्ञात व्यक्ति ने ग्रीनपीस को फोन करके वॉरेन एंडरसन का पता बताया.’’ बकौल रघु, अज्ञात व्यक्ति ने संस्था से कहा ‘‘यू आर ब्लडी इंडियंस एंड दे आर अमेरिकन. आप उसे भगोड़ा कह रहे हैं, और वह अपने घर में आराम से रह रहा है.’’{mospagebreak}
गैस पीड़ितों के लिए आगे भी कोई राहत न होने की आशंका व्यक्त करते हुए रघु ने कहा ‘‘सबूतों को जिस तरह कमतर और कमजोर किया गया, उससे लगता नहीं है कि आगे भी इंसाफ होगा. कोई कितना भी आगे चला जाए, लेकिन सबूतों को इतना कमतर कर दिया गया है कि कोई फायदा नहीं होने वाला.’’ रघु ने देर और अंधेर से घिरे इस फैसले को ‘नष्ट हुए न्याय’ की संज्ञा दी.

वरिष्ठ फोटोग्राफर ने कहा ‘‘25 साल पहले के मामले में सरकार और न्याय तंत्र की बदौलत ऐसा फैसला आया है, तो निश्चित तौर पर तंत्र में कहीं न कहीं कोई कमी है. न्याय जब देर से होता है तो वह नष्ट हो जाता है.’’ भोपाल त्रासदी फैसले से व्यथित रघु ने मामले की जांच करने वाली संस्था सीबीआई को ‘टेम्ड बुल’ की भी संज्ञा दी, जो तभी काम करती है, जब उसे बाध्य किया जाता है.

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रघु इसे ऐसा फैसला मानते हैं, जो किसी मजाक से कम नहीं है और जिससे किसी भी पीड़ित को कोई फायदा नहीं होने वाला.

रघु ने कहा ‘‘हादसे के बाद मेरी पहली प्रतिक्रिया यही रही कि यह तो गैस पीड़ितों के साथ एक मजाक की तरह है. इस फैसले से किसी को भी फायदा नहीं होने वाला.’’

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