सरकार की ओर से लाए गए नए मोटर व्हीकल एक्ट के तहत बढ़े जुर्माने कई लोगों को रास नहीं आ रहे हैं. एक तरफ जहां ज्यादातर राज्यों ने जुर्माने की बढ़ी हुई दरों पर अंकुश लगाया है, वहीं, सड़क, यातायात और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने जुर्माने के इजाफे को सही बताया. उनका मानना है कि सड़क के नियमों का पालन न करने के कारण जो मौतें हो रही हैं, बढ़ी हुई दरें उन पर लगाम लगाने के काम आ सकती हैं.
इंडिया टुडे की डेटा इंटेलिजेंस यूनिट (DIU) ने भारत में 2017 में हुए सड़क हादसों के आंकड़ों का आकलन किया और पाया कि सड़क हादसों में सबसे ज्यादा दुपहिया चालक ही मारे जाते हैं. अब तक के मौजूद आंकड़ों के अनुसार 2017 में भारत में लगभग 48,746 दुपहिया चालकों ने सड़क हादसों में अपनी जान गंवाई थी. आंकड़ों ने यह भी बताया कि इन में से 73.8 प्रतिशत दुपहिया चालकों ने हेलमेट नहीं पहना था.
इसका मतलब यह कि भारत में 2017 में हर घंटे 4 लोगों की मौत हुई जो बिना हेलमेट के सड़क पर दुपहिया वाहन पर सवार थे. सड़क हादसों में मरने वालों में दुपहिया चालक पहले स्थान पर आते हैं. 2017 में 48,746 दुपहिया चालकों की सड़क हादसे में मृत्यु हो गयी थी जो सड़क हादसे में मरने वालों की संख्या का 33 प्रतिशत है.
दुपहिया चालकों के बाद आते हैं कार/जीप/टैक्सी चालक जहां मरने वालों की संख्या 26,869 थी. उसके बाद आते हैं ट्रक/टेम्पो/ट्रेक्टर वाले जहां मरने वालों की संख्या 17,158 थी. सड़क हादसों से मरने वालों की सूची में 9069 बस यात्री थे वहीं ऑटो रिक्शा में मरने वालों की संख्या 7167 थी. कुल मिलाकर 35,975 दुपहिया चालक जिनकी सड़क हादसों में मौत हुई थी, ने हेलमेट नहीं पहना था. इनमें से 58 प्रतिशत खुद वाहन चला रहे थे और 42 प्रतिशत पीछे बैठे थे.
आधी मौतें सिर्फ चार राज्यों में
अपनी पड़ताल में DIU ने यह भी पाया कि हेलमेट न पहनने से मरने वालों की आधी संख्या तो चार राज्यों से ही थी. सबसे ज़्यादा मौतें तमिलनाडु में देखने को मिलीं, जहां 6105 (17 प्रतिशत) दुपहिया सवारों ने हेलमेट नहीं पहना था और हादसे में मारे गए थे.
तमिलनाडु के बाद आते हैं उत्तर प्रदेश जहां हेलमेट न पहनने वाले मृतकों की संख्या 4406 थी. इस मामले में महाराष्ट्र तीसरे स्थान पर था जहां हेलमेट न पहनने वाले मृतकों की संख्या 4369 थी. चौथे स्थान पर आता है मध्य प्रदेश जहां मरने वालों की संख्या 3183 थी. मेघालय और मिजोरम ऐसे दो राज्य थे जहां हेलमेट न पहनने से मरने वाला कोई भी नहीं था.
हेलमेट न पहनने वाले मृतकों की संख्या सबसे ज्यादा तमिलनाडु में थी, लेकिन यह भी जान लेना चाहिए कि सबसे ज़्यादा सड़क दुर्घटनाएं भी इसी राज्य में हुई थीं. इसका मतलब यह कि तमिलनाडु में हर चार दुपहिया वाहन संबंधित सड़क हादसों में से एक ही व्यक्ति मौत का शिकार हुआ.
यदि प्रति 100 दुपहिया वाहन हादसों में मरने वालों की दर निकाली जाए तो झारखंड पहले स्थान पर आता है. झारखंड में दुपहिया वाहन से जुड़े 52 प्रतिशत हादसों में मौतें दर्ज की गईं- मतलब हर 2 हादसों में एक मौत.
झारखंड के बाद आते हैं राजस्थान (40.84%), पंजाब (40.67%), उत्तर प्रदेश (38.89%), महाराष्ट्र (36.81%) और पश्चिम बंगाल (36.27%) जहां हादसों में हेलमेट न पहनने वाले मृतकों की दर सबसे ज्यादा थी.
अरुणाचल प्रदेश (6.45%), नागालैंड (6.25%), केरल (5.55%), दिल्ली (5.41%), त्रिपुरा (4.17%), सिक्किम (4.17%) और जम्मू कश्मीर (1.01%) ऐसे राज्य थे जहां यह दर 10 प्रतिशत से भी कम थी. मिजोरम और मेघालय में ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं था जो हेलमेट न पहनने के कारण मारा गया.

हेलमेट न पहनने वाले- 91 प्रतिशत हादसों में कम से कम चोट तो लगती ही है. जहां देश में हेलमेट न पहनने वाले मृतकों की संख्या बहुत ज़्यादा है, चोटिल होने वालों की संख्या उससे भी ज़्यादा है. DIU ने अपनी पड़ताल में पाया कि कुल दुपहिया वाहन हादसों में 91 प्रतिशत हादसे ऐसे थे जहां सवारी प्रभावित हुई थी- मतलब हादसे से उनकी या तो मौत हुई, या गंभीर चोटें आईं या मामूली चोटें आईं.
तमिलनाडु में हुए हर 100 हादसों में 126 दुपहिया सवार लोगों को कम से कम चोट तो पहुंची ही थी. तमिलनाडु के बाद आते हैं महाराष्ट्र, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश झारखंड और कर्नाटक जहां पर हर 100 में से एक दुपहिया वाहन सवार, जिसने हेलमेट नहीं पहना था, प्रभावित हुआ.