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NCRB की रिपोर्ट- 5 BJP शासित राज्यों में दलितों के खिलाफ अपराध सबसे ज्यादा

आपको बता दें कि मध्यप्रदेश में पिछले लगभग एक दशक से शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार चल रही है. पिछले साल में राज्य के आंकड़ों में 12.1 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.

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दलितों के खिलाफ बढ़े अपराध
दलितों के खिलाफ बढ़े अपराध

भारतीय जनता पार्टी शासित राज्यों में दलितों के खिलाफ अपराध के मामलों में बढ़ोतरी हुई है. ताजा जारी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) आंकड़ों में दलितों के खिलाफ अधिक क्राइम वाले राज्यों में भारतीय जनता पार्टी शासित राज्य शामिल हैं. आंकड़ों में जो टॉप 5 क्राइम वाले राज्य हैं उनमें या तो बीजेपी की सरकार है या फिर उनके सहयोगियों की.

अगर क्राइम रेट (दर) के हिसाब से देखें तो लिस्ट में पहला नबंर मध्यप्रदेश का है. प्रति लाख के आंकड़ों के अनुसार 2014 मध्य प्रदेश में अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराध के 3294 मामले दर्ज हुए, जो 2015 में 3546 और 2016 में 4922 तक पहुंचे. आपको बता दें कि मध्यप्रदेश में पिछले लगभग एक दशक से शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार चल रही है. पिछले साल में राज्य के आंकड़ों में 12.1 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.

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मध्यप्रदेश के बाद राजस्थान का नंबर आता है, जहां अपराध में 12.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. राजस्थान में 2014 में 6735 अपराध दर्ज हुए हैं, जो 2015 में 5911 और 2016 में 5136 तक पहुंचे. अपराध के मामले में तीसरे नंबर पर गोवा आता है. हालांकि, गोवा में 2014 में इस प्रकार के मात्र 13 और 2015 में 11 मामले ही दर्ज हुए थे. यानी साफ है अधिक अपराध की लिस्ट में जो शुरुआती तीन राज्यों का नाम है वहां बीजेपी की ही सरकार है.

इनके बाद चौथे नंबर पर बिहार आता है. जहां बीजेपी के समर्थन से नीतीश कुमार की सरकार चल रही है. बिहार में पिछले साल इस प्रकार के 5701 मामले दर्ज किए गए हैं. 2016 में हुए पूरे देश में कुल अपराधों में से 14 फीसदी अपराध बिहार में ही हुए हैं. बिहार में पहले जेडीयू-राजद की सरकार थी, लेकिन बाद समीकरण बदले और बीजेपी-जेडीयू की सरकार बनी.

पूरे देश की नजर इस समय गुजरात चुनाव पर हैं. गुजरात इस लिस्ट में पांचवें नंबर पर आया है. गुजरात में 2014 के मुकाबले अपराध बड़ा है. 2014 में जहां गुजरात में 1094 आपराधिक केस दर्ज किए गए वहीं 2016 में ये आंकड़ा 1322 तक पहुंचा. हालांकि, 2015 में ये नंबर 1010 तक ही थे. अब सवाल उठता है कि चुनाव से ठीक पहले आए ये आंकड़ें वोटिंग पर कितना असर डालेंगे, और विपक्ष इन्हें कितना भुना पाएगा.

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गौरतलब है कि पिछले कुछ समय में गुजरात में दलितों पर हमले की कई घटनाएं सामने आई हैं. जिनमें 2015 में हुई ऊना की घटना ने देशभर में सुर्खियां बटोरी थीं. इस लिहाज से दलितों की सुरक्षा गुजरात में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है. क्योंकि आंदोलन से निकले दलित नेता जिग्नेश मेवाणी चुनाव में एक अहम रोल में आ चुके हैं. मेवाणी और कांग्रेस लगातार दलित सुरक्षा के मुद्दे पर बीजेपी को घेर रहे हैं.

राष्ट्रीय आंकड़ों के अनुसार, 2016 में अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराधिक मामलों में 2015 के मुकाबले 5.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. 2016 में कुल 40,801 मामले दर्ज हुए हैं जबकि 2015 में ये आंकड़ा 38670 तक ही था. उत्तर प्रदेश में इस प्रकार के 10,426 आंकड़ें दर्ज हुए हैं. जो कि पूरे मामलों के 25.6 फीसदी हैं यूपी के बाद बिहार का नंबर आता है जहां लगभग 14 फीसदी अपराध हुए हैं.

2016 में मध्यप्रदेश में दलितों के खिलाफ 43.4 फीसदी संज्ञेय अपराध हुए हैं, जबकि राजस्थान में ये आंकड़ा 42 फीसदी है. गोवा में 36.7 फीसदी, 34.4 फीसदी बिहार में और 32.5 फीसदी गुजरात में. पूरे देश में अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराध का आंकड़ा 20.6 फीसदी था.

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