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निकाले गए अमेरिकी राजनयिक की बीवी बोली- भारतीय माली से अच्‍छा खाना खाता है मेरा कुत्ता

भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े की गिरफ्तारी के बाद निकाले गए अमेरिकी राजनयिकों ने आपत्तिजनक बयान दिया है. अमेरिकी राजनयिक की पत्‍नी ने कहा है कि उनके कुत्‍ते को भारतीय माली की तुलना में बेहतर खाना मिलता है.

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भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े की गिरफ्तारी के बाद निकाले गए अमेरिकी राजनयिकों ने आपत्तिजनक बयान दिया है. अमेरिकी राजनयिक की पत्‍नी ने कहा है कि उनके कुत्‍ते को भारतीय माली की तुलना में बेहतर खाना मिलता है.

गौरतलब है कि देवयानी के साथ अमेरिका में हुई बदसलूकी के जवाब में 'जैसे को तैसा' की कार्रवाई करते हुए भारत ने पिछले हफ्ते नई दिल्‍ली में तैनात अमेरिकी राजनयिक को निकाल दिया था. इस राजनयिक की पत्‍नी भी सीनियर डिप्‍लोमैट हैं. अमेरिकी विदेश मंत्रालय की उपप्रवक्ता मैरी हर्फ ने इन राजनयिकों की पहचान उजागर करने से इन्कार कर दिया, लेकिन भारतीय सूत्रों ने इनकी पहचान वायने मे के तौर पर की है. नई दिल्ली में अमेरिकी दूतावास में सुरक्षा संपर्क अधिकारी वायने पिछले हफ्ते अपनी पत्‍नी एलिसिया के साथ स्वदेश लौट आए थे.

भारत से निकाले गए अमेरिकी राजनयिक की भारतीय संस्कृति के खिलाफ की गई असंवेदनशील टिप्पणी से ओबामा प्रशासन ने खुद को अलग कर लिया है. दरअसल, निष्कासित किए जाने के बाद राजनयिक और उनकी पत्‍नी के फेसबुक अकांउट की भारतीय मीडिया ने जांच की थी, जिसमें कई निंदात्मक टिप्पणियां की गई थी. उनके फेसबुक पर भारत के रहन-सहन पर आपत्तिजनक कमेंट किए गए थे. इन्हें एक वेबसाइट पर ‘नस्लवादी अमेरिकन डिप्लोमेट्स’ शीर्षक से प्रकाशित किया गया. इसमें वायने ने भारत में गोमांस नहीं मिलने पर दुख जताया था. वहीं उनकी पत्‍नी ने साफ-सफाई न होने की शिकायत की, जिसमें जानवरों और इंसानों द्वारा फुटपाथ पर मलत्याग करना शामिल है. उन्होंने दावा किया कि उनके कुत्ते को उनके भारतीय माली की तुलना में बेहतर खाना मिलता है.

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अमेरिका को उम्‍मीद, जल्‍द खत्‍म होगा गतिरोध
इस बीच, अमेरिका ने उम्मीद जताई है कि देवयानी खोबरागडे की गिरफ्तारी के बाद दोनों देशों के बीच पैदा हुआ गतिरोध जल्द खत्‍म होगा. उसने कामकाज के फिर से पटरी पर लौटने और द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने की इच्छा भी जताई. अमेरिकी विदेश मंत्रालय की उप प्रवक्ता मैरी हर्फ ने कहा, 'निश्चित रूप से यह समय भारत और अमेरिका के लिए चुनौतीपूर्ण रहा. हम चाहते हैं कि हमारा कामकाज फिर से पटरी पर लौटे. हम इस विवाद को पीछे छोड़ना चाहते हैं.

रिपोर्ट पर भड़का अमेरिका
वहीं, अमेरिका ने इन खबरों का जोरदार विरोध किया है कि विदेश स्थित उसके मिशनों में विदेशी कर्मचारियों को प्रतिदिन एक डॉलर (करीब 61 रुपये) से भी कम का वेतन दिया जाता है. अमेरिका का कहना है कि उसकी वेतन योजना क्षेत्र विशेष की मौजूदा वेतन दरों और मुआवजा नियमों पर आधारित है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता एमिली होर्न ने कहा, ‘यह सही नहीं है।’ विदेश मंत्रलाय के ऑफिस ऑफ इंस्पेक्टर जनरल (ओआईजी) की साल 2009 की रिपोर्ट में कहा गया था कि विदेशों में अमेरिकी राजनयिक मिशनों में काम करने वाले स्थानीय कर्मचारियों को हर दिन एक डॉलर से भी कम वेतन दिया जाता है.

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